आदि अमावस्या, जिसे दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, एक पवित्र अमावस्या तिथि है जो आध्यात्मिक शुद्धि और पितृ कर्मों के लिए विशेष मानी जाती है। भक्त मंदिरों में भगवान शिव, भगवान विष्णु तथा अपने कुलदेवताओं की विशेष पूजा करते हैं। कई स्थानों पर नवरात्रि की तरह उपवास रखकर देवी शक्ति की भी आराधना की जाती है।
2025 में आदि अमावस्या 24 जुलाई, गुरुवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि की शुरुआत 24 जुलाई को तड़के 2:28 बजे होगी और यह समाप्त होगी 25 जुलाई को रात 12:40 बजे। लेकिन उदया तिथि यानी सूर्योदय के समय जो तिथि होती है, उसी के अनुसार पर्व मनाया जाता है, इसीलिए आदि अमावस्या 24 जुलाई को मनाई जाएगी।
आदि अमावस्या को तमिल पंचांग के आषाढ़ मास की अमावस्या के रूप में जाना जाता है और यह तमिल नववर्ष की पहली अमावस्या होती है। इसे आध्यात्मिक पुनरारंभ का अवसर माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु पुरखों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं, व्रत रखते हैं और नदियों व समुद्र के तटों पर स्नान करके पवित्रता प्राप्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य, पितृ तर्पण और जप-तप कई गुना फल प्रदान करते हैं।
आदि अमावस्या के दिन उपवास रखने का भी विशेष महत्व है। इस दिन व्रती सिर्फ फलाहार कर सारा दिन पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिरों में विशेष भीड़ होती है और कई स्थानों पर सामूहिक भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है। भक्त इस दिन कर्मों की शुद्धि और ईश्वर की कृपा के लिए ध्यान और जप करते हैं।