Pradosh Vrat 2025: सावन के पहले प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, मिलेगा विशेष फल
सावन मास भगवान शिव की आराधना का सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस पवित्र माह में आने वाले प्रत्येक व्रत, पर्व और योग का विशेष महत्व होता है। खासकर प्रदोष व्रत, जो त्रयोदशी तिथि को आता है, शिव उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है। वर्ष 2025 में सावन का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार, 22 जुलाई को पड़ रहा है, जिसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन की पूजा और भी फलदायी मानी जा रही है।
प्रदोष व्रत पर बन रहा हैं ध्रुव योग और द्विपुष्कर योग का संयोग
2025 के इस पहले सावन प्रदोष व्रत के दिन ध्रुव योग और द्विपुष्कर योग जैसे दो अत्यंत महत्वपूर्ण योग बन रहे हैं,
- ध्रुव योग को स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है। इस योग में किए गए धार्मिक कार्यों का प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है।
- वहीं द्विपुष्कर योग का संबंध दोगुने फल से है। इस योग में किए गए कार्यों का फल सामान्य से दो गुना अधिक मिलता है।
इन दोनों योगों के साथ भौम प्रदोष व्रत पड़ना इस तिथि को अत्यंत शुभ बनाता है। इस दिन शिव-शक्ति की उपासना करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और विशेष आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
सावन में प्रदोष व्रत का महत्व
- सावन में आने वाला प्रदोष व्रत ध्रुव योग, द्विपुष्कर योग या अन्य शुभ योगों के साथ आता है, तो इसका फल कई गुना अधिक हो जाता है।
- सावन में प्रदोष व्रत करने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भक्तों को मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
- शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को अपने पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।
- सावन में प्रदोष व्रत रखने वाले श्रद्धालु की हर मनोकामना पूरी होती है। विशेष रूप से विवाह, संतान और करियर से जुड़ी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- इस व्रत में शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा होती है, जिससे वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है। कुंवारी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं।
सावन में प्रदोष व्रत करने का सही तरीका
- व्रतधारी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए।
- दिनभर उपवास रखें (निराहार या फलाहार)।
- प्रदोष काल (सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे पूर्व) में शिव-पार्वती की पूजा करें।
- बेलपत्र, दूध, दही, शहद, गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें।
- व्रत कथा सुनें और आरती करें।