सावन मास भगवान शिव की उपासना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस मास में आने वाले प्रत्येक सोमवार और प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को आता है और यह दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए उपयुक्त माना जाता है। वर्ष 2025 में सावन का पहला प्रदोष व्रत 22 जुलाई, मंगलवार को रखा जाएगा। मंगलवार को प्रदोष व्रत होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन भक्त पूरे श्रद्धा और नियमों के साथ व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
2025 में सावन का पहला प्रदोष व्रत 22 जुलाई को है। इस दिन त्रयोदशी तिथि सुबह 7:05 बजे प्रारंभ होगी और अगले दिन 23 जुलाई को सुबह 4:39 बजे तक रहेगी। प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:18 बजे से रात 9:22 बजे तक का है। यही समय भगवान शिव की उपासना और पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
प्रदोष काल में (सूर्यास्त के बाद) पुनः विधिपूर्वक पूजा करें। व्रत का संकल्प लें और प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण करें। शाम की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इस समय भगवान शिव तांडव मुद्रा में माने जाते हैं और भक्तों की हर प्रकार की बाधा हरते हैं।