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भगवान गणेश को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा घास

भगवान गणेश को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा घास

 भगवान गणेश को क्यों प्रिय है दूर्वा घास, जानें इसका धार्मिक महत्व 

भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा में दूर्वा घास को अत्यंत पवित्र माना गया है। विशेष रूप से गणेश पूजा में दूर्वा का चढ़ाना अनिवार्य है। मान्यता है कि दूर्वा घास भगवान गणेश को शीघ्र प्रसन्न करने वाली वस्तु है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, दूर्वा घास को अर्पित करने से गणेश जी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।

ऋषि कश्यप ने खिलाई थी भगवान गणेश को दूर्वा घास 

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार अनलासुर नामक एक राक्षस देवताओं और ऋषियों को आतंकित कर रहा था। देवताओं ने भगवान गणेश से प्रार्थना की कि वे इस संकट से मुक्ति दिलाएँ। भगवान गणेश ने अनलासुर का वध करने के लिए उसे निगल लिया।

लेकिन अनलासुर को निगलने के बाद गणेश जी के पेट में असहनीय जलन होने लगी। उनकी पीड़ा को शांत करने के लिए ऋषि कश्यप ने उन्हें दूर्वा घास खाने को दी। दूर्वा घास के सेवन से गणेश जी के पेट की जलन तुरंत शांत हो गई और उन्हें कष्ट से मुक्ति मिली।

तब से दूर्वा घास भगवान गणेश की प्रिय हो गई। इस घटना के बाद से गणेश पूजा में दूर्वा चढ़ाना एक पवित्र परंपरा बन गई।

दूर्वा घास से होती है घर पवित्र 

  • ऐसी मान्यता है कि दूर्वा घास चढ़ाने से गणेश जी जल्दी प्रसन्न होते हैं।
  • भक्तों की इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
  • दूर्वा को आयुर्वेद और शास्त्रों में दीर्घायु और स्वास्थ्य का प्रतीक माना गया है।
  • दूर्वा का प्रयोग घर और पूजा स्थल की शुद्धि के लिए भी किया जाता है।

दूर्वा अर्पित करने की विशेष विधि

  • प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
  • गणेश मंत्र का जप करते हुए 21 तिनकों की दूर्वा घास अर्पित करें।
  • मोदक या लड्डू का भोग लगाएँ और आरती करें।
  • पूजा उपरांत प्रसाद ग्रहण करें और परिवार में बांटें।

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