भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा में दूर्वा घास को अत्यंत पवित्र माना गया है। विशेष रूप से गणेश पूजा में दूर्वा का चढ़ाना अनिवार्य है। मान्यता है कि दूर्वा घास भगवान गणेश को शीघ्र प्रसन्न करने वाली वस्तु है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, दूर्वा घास को अर्पित करने से गणेश जी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार अनलासुर नामक एक राक्षस देवताओं और ऋषियों को आतंकित कर रहा था। देवताओं ने भगवान गणेश से प्रार्थना की कि वे इस संकट से मुक्ति दिलाएँ। भगवान गणेश ने अनलासुर का वध करने के लिए उसे निगल लिया।
लेकिन अनलासुर को निगलने के बाद गणेश जी के पेट में असहनीय जलन होने लगी। उनकी पीड़ा को शांत करने के लिए ऋषि कश्यप ने उन्हें दूर्वा घास खाने को दी। दूर्वा घास के सेवन से गणेश जी के पेट की जलन तुरंत शांत हो गई और उन्हें कष्ट से मुक्ति मिली।
तब से दूर्वा घास भगवान गणेश की प्रिय हो गई। इस घटना के बाद से गणेश पूजा में दूर्वा चढ़ाना एक पवित्र परंपरा बन गई।