दूर्वा अष्टमी का पर्व भगवान गणेश को समर्पित है। गणेश जी को दूर्वा (दूब घास) अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस दिन भक्त 21 जोड़ी दूर्वा अर्पित कर उनकी पूजा करते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि दूर्वा अर्पण करने और मंत्र जाप करने से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। मन को शुद्ध और शांत रखें। भगवान गणेश की पूजा के लिए दूर्वा, ताजे फूल, फल, चावल, धूप, दीप, चंदन, मोदक या मीठी रोटी, अक्षत और आरती की थाली तैयार करें।
भगवान गणेश को 21 जोड़ी दूर्वा अर्पित करें। ऐसी मान्यता है कि दूर्वा के बिना गणेश पूजन अधूरा माना जाता है। दूर्वा अर्पित करते समय ‘इदं दूर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें।
पूजा के समय और दूर्वा अर्पण के बाद भगवान गणेश का ध्यान करते हुए 108 बार इन मंत्रो का जाप करें।
मोदक या मीठी रोटी का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में परिवार और भक्तों में वितरित करें। पूजन के बाद भगवान गणेश और माता पार्वती की आरती करें।