हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यंत महत्व है, और उसमें भी कामिका एकादशी, जो श्रावण मास में आती है, विशेष पुण्यदायिनी मानी जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और पापों से मुक्ति के लिए रखा जाता है। धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में वर्णित है कि इस दिन व्रत के साथ-साथ दान-पुण्य करने से विशेष फल प्राप्त होता है। कामिका एकादशी 2025 में 21 जुलाई, सोमवार को पड़ रही है। इस दिन विष्णु उपासना, व्रत और दान तीनों का समन्वय जीवन में शुभता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
दान को सनातन धर्म में परम कर्तव्य माना गया है। कामिका एकादशी पर दान करने से आदित्य पुराण, विष्णु पुराण और पद्म पुराण के अनुसार अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
कामिका एकादशी के दिन चावल का दान करना अक्षय फल देने वाला माना गया है।
यह दान भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। चावल का दान करने से कभी घर में अन्न की कमी नहीं होती और सुख-समृद्धि बनी रहती है। विशेष रूप से सफेद चावल, जिसे धोकर सुखाया गया हो, उसे दान करना अत्यधिक शुभ माना गया है।
गेहूं, चना, मूंग, मसूर, अरहर आदि दालों का दान करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। यह दान विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो रोजगार, व्यापार या नौकरी में उन्नति की कामना रखते हैं।
पितरों की शांति और पारिवारिक शुद्धि के लिए तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है। काले तिल का दान करने से पितृ दोष का शमन होता है और जीवन में सुख-शांति आती है। तिल का तर्पण, स्नान और दान तीनों कामिका एकादशी के दिन करने से तीन गुना पुण्य प्राप्त होता है।
जल से भरे हुए मिट्टी या तांबे के पात्र का दान करना शीतलता और शुभ ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। वस्त्रों का दान विशेष रूप से ब्राह्मणों, जरूरतमंदों या वृद्धों को करना फलदायी होता है। छाते और चप्पल का दान करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और यात्रा सुखद बनती है।
साल 2025 में अपने नन्हे मेहमान के आगमन के साथ आप उनके नामकरण संस्कार की तैयारी में जुट गए होंगे। यह एक ऐसा पल है जो न केवल आपके परिवार के लिए बल्कि आपके बच्चे के भविष्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह दोनों तिथियां भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
साल 2025 में कुल 2 चंद्र ग्रहण लगेंगे। लेकिन यह दोनों ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देंगे इसलिए इसका कोई धार्मिक प्रभाव नहीं माना जाएगा। साथ ही इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
बच्चे के जन्म के बाद हिंदू परंपरा में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान किया जाता है जिसे मुंडन संस्कार कहा जाता है। यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह व्यक्ति की आत्मा की शुद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक भी है।