आए मैया के नवराते,
हो रहे घर घर में,
हो रहे घर घर में जगराते,
रिझाते मैया को,
रिझाए मैया को झूमते गाते,
गूंज रही भक्तो की,
गूंज रही भक्तो की जय जयकार,
सजा है माता का,
सजा है माता का दरबार ॥
बुलावा जब जब भवन से आए,
भेज के चिठियाँ ओए,
भेज के चिठियाँ मात बुलाए,
नंगे पाओं ओए,
नंगे पाओं चलके जाएँ,
भेंटे लेके ओए,
भेंटे लेके खड़े है द्वार,
मैया दर्शन दो,
मैया दर्शन दो सिंह सवार ॥
माँ का कोई है पार ना पाया,
रूप धर कन्या का,
रूप धर कन्या का महामाया,
दुखड़ा भक्तो का,
दुखड़ा भक्तो का मात मिटाया,
करे कन्याओ का,
करे कन्याओ का जो सत्कार,
भवानी करती बेडा पार ॥
वैष्णो माँ की महिमा भारी,
हरेगी ‘लख्खा’ चिंताए सारी,
शेरोवाली की,
जोतावाली की,
मेहरावाली की,
अम्बे रानी की,
तारनहारी हारी माँ,
‘सरल’ चल चलिए ओय,
‘सरल’ चल चलिए ओय एक बार,
खुलेंगे खुशियों के,
खुलेंगे खुशियों के फिर द्वार ॥
आए मैया के नवराते,
हो रहे घर घर में,
हो रहे घर घर में जगराते,
रिझाते मैया को,
रिझाए मैया को झूमते गाते,
गूंज रही भक्तो की,
गूंज रही भक्तो की जय जयकार,
सजा है माता का,
सजा है माता का दरबार ॥
हर साल माघ माह के दौरान कल्पवास के लिए प्रयागराज में भक्तों का जमावड़ा होता है, लेकिन इस बार का महाकुंभ माघ माह में होने के कारण इस संख्या में दोगुना इजाफा होने की उम्मीद है।
कुंभ की शुरुआत में अब 15 दिन से कम का समय रह गया है। 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत होने वाली है। इस दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और साधु-संत पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर अपनी आस्था प्रकट करेंगे।
हिंदू धर्म में यमदेवता को मृत्यु के देवता के रूप में पूजा जाता है। यमराज या यमदेवता को संसार में मृत्यु के बाद आत्माओं का न्याय करने वाला देवता माना जाता है। वे पाताल लोक (नरक) के शासक हैं और मृत आत्माओं का मार्गदर्शन करते हैं।
माघ माह का प्रारंभ होने जा रहा है। इस दौरान बड़ी संख्या में कल्पवासी संगम तट पर पहुंचने वाले हैं। पुराणों में भी इस महीने का वर्णन किया गया है। कहा जाता है कि इस महीने में भगवान विष्णु गंगा जल में निवास करते हैं। इसी कारण गंगा स्नान को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। धर्म ग्रंथों में इस महीने के दौरान गंगा स्नान के महत्व को विस्तार से बताया गया है।