आये जी आये नवराते आये,
भक्तों को मैया दर्शन दिखाएं,
हर कोई मां को निहारता,
क्या कहना मैया के प्यार का,
सुंदर सजे दरबार का,
क्या कहना मैया के प्यार का,
सुंदर सजे दरबार का ॥
नो दिन रहेगी मां अंगना में अपने,
किस्मत जगाएगी मां,
नो रूप धारेगी हर दिन भवानी,
भक्ति जगाएगी मां,
पहले शैलपुत्री दुजे ब्रह्मचारिणी,
तीजे चंद्रघंटा है मां,
दुख तेरे हर लेगी,
झोली माँ भर देगी,
ऐसी दयालु है मां,
भक्तों के अपने संकट मिटाएं,
क्या कहना मैया के प्यार का,
सुंदर सजे दरबार का,
क्या कहना मैया के प्यार का,
सुंदर सजे दरबार का ॥
लाल लाल चोले में,
लाल लाल चुनरी में,
बैठी है अष्ट भुजा धारी,
आगे हनुमानजी और पीछे पीछे भेरूजी,
होगी पीले शेर की सवारी,
चौथें कुष्मांडा स्कंदमाता पांचवें,
छटे मे है कात्यायनी,
करते ही दर्शन होगा प्रसन्न मन,
वर देगी मां वरदानी,
जो भी महारानी की ज्योति जगाता,
वो अपना जीवन संवारता,
क्या कहना मैया के प्यार का,
सुंदर सजे दरबार का,
क्या कहना मैया के प्यार का,
सुंदर सजे दरबार का ॥
कोई ना मैया के दर से निराश जाए,
सबकी ही सुनती है माँ,
निर्धन को धन देती,
निर्बल को बल देती,
आस पूरी करती है माँ,
कालरात्रि सातवी है,
माँ गोरी आठवीं है,
नोवीं सिद्धदात्री है माँ,
गुण गाता ‘लक्खा’ भी माँ शेरावाली के,
सबके मन को भाती है माँ,
चरणो में माँ के सर को झुकाये,
हर पल ‘गिरी’ है पुकारता,
क्या कहना मैया के प्यार का,
सुंदर सजे दरबार का,
क्या कहना मैया के प्यार का,
सुंदर सजे दरबार का ॥
आये जी आये नवराते आये,
भक्तों को मैया दर्शन दिखाएं,
हर कोई मां को निहारता,
क्या कहना मैया के प्यार का,
सुंदर सजे दरबार का,
क्या कहना मैया के प्यार का,
सुंदर सजे दरबार का ॥
महाकुंभ में देश के कोने-कोने से धर्मगुरु और साधु-संत एकत्र हुए हैं। इस विशाल मेले में हर दिन कोई न कोई ऐसा अद्भुत दृश्य दिखाई देता है जो लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है।
प्रयागराज का महाकुंभ हमेशा से ही अद्भुत दृश्यों और आध्यात्मिक अनुभवों का केंद्र रहा है। इस बार भी महाकुंभ ने लोगों को हैरान करते हुए कई अनोखे किस्से दिए हैं। आईआईटी से पढ़े बाबा को देखा और यूट्यूबर की चिमटे और मोर पंख से पिटाई भी देखी।
आस्था की संगम नगरी प्रयागराज इस समय महाकुंभ के रंग में पूरी तरह रंगी हुई है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ के लिए भारत के विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भव्य पेशवाई के साथ महाकुंभ नगर में प्रवेश कर चुके हैं।
प्रयागराज का महाकुंभ अपने आप में एक अद्भुत नजारा है। लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ, हजारों साधु-संत भी यहां आते हैं। इनमें नागा साधुओं का अपना ही महत्व है। इनका कठोर तप और त्याग सभी को प्रेरित करता है।