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कैसे मनाई जाती है आयुध पूजा

कैसे मनाई जाती है आयुध पूजा

Ayudha Puja 2025: आयुध पूजा के दिन होता है शस्त्र पूजन, जानें इसका महत्व

आयुध पूजा हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन मनाया जाता है। इस वर्ष महानवमी 1 अक्टूबर, बुधवार को पड़ रही है, जो औजारों और हथियारों की पूजा के लिए भी समर्पित है। इस दिन उन औजारों और हथियारों की पूजा की जाती है जिनका उपयोग दैनिक जीवन में किया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है, जो न केवल कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि समृद्धि, सफलता और दिव्यता का सम्मान करने का प्रतीक भी है। 

हल्दी और फूलों की माला से सजाया जाता है मशीन और वाहन 

इस दिन धार्मिक रूप से हथियारों और औज़ारों की पूजा की जाती है। सिर्फ़ केवल बड़े उपकरण ही नहीं, बल्कि पिन, सुई, कैंची, चाकू जैसी छोटी चीज़ों से लेकर वाहनों और मशीनों तक की भी पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपनी मशीनों और औजारों को साफ़ करके उन्हें फूलों की माला और हल्दी से सजाते हैं। साथ ही, वाहनों पर नारियल भी चढ़ाया जाता है। तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में यह पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है और महानवमी के दिन पूरे उत्साह से मनाया जाता है।

महाभारत काल से संबंधित है आयुध पूजा

आयुध पूजा का संबंध महाभारत से भी है। ऐसा माना जाता है कि अर्जुन ने शमी वृक्ष में छिपाए गए अपने हथियार महानवमी के दिन ही पुनः प्राप्त किए थे। इसलिए इस दिन हथियारों और औज़ारों की पूजा करने के लिए आयुध पूजा मनाई जाती है। 

साथ ही, किसान इस दिन अपने कृषि औजारों की पूजा करते हैं और ऐसा मानते हैं कि इससे अधिक लाभ होगा और देवी दुर्गा का आशीर्वाद भी मिलेगा। 

आयुध पूजा से प्राप्त होती है करियर में सफलता 

ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक वस्तु में दिव्यता का अंश होता है, इसलिए इस दिन देवी सरस्वती और मां पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है।

धर्मशास्त्र के अनुसार, आयुध पूजा करने से व्यक्ति को करियर में लाभ होता है और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

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