हर साल पूरे भारत में नवरात्रि के समापन पर दशहरा या विजयदशमी का पर्व बड़े हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है। इस वर्ष विजयादशमी 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्री राम द्वारा रावण वध और माता दुर्गा द्वारा महिषासुर संहार की स्मृति में दीप जलाने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन घर में शुभ दिशा में दीपक जलाने से धन, वैभव और समृद्धि का आगमन होता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्रि के दसवें दिन यानी विजयदशमी पर दसों दिशाओं में 10 दीपक जलाना अत्यंत शुभ होता है। यह दीपक जीवन के अंधकार को दूर कर ज्ञान और सौभाग्य का प्रकाश फैलाते हैं। इन दीपकों में सरसों के तेल का उपयोग करना श्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा, पांच दीपक पवित्र वृक्षों — तुलसी, पीपल, शमी, बरगद और केले के पौधे के पास जलाने चाहिए। इन दीपकों को तिल के तेल से जलाना चाहिए, क्योंकि तिल का तेल नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर घर में सकारात्मक शक्ति को आमंत्रित करता है।
विजयदशमी के दिन भगवान श्रीराम की विशेष पूजा का विधान है। इस दिन भगवान श्रीराम के समक्ष घी का दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है। यह दीया व्यक्ति के जीवन में शांति और ईश्वरीय कृपा लाता है। साथ ही, घर की तिजोरी या धन रखने के स्थान के पास अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक उन्नति होती है और जीवन में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
ज्योतिष के अनुसार, इस दिन दसों दिशाओं में दीपक जलाने की परंपरा है। इनमें — पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान (उत्तर-पूर्व), आग्नेय (दक्षिण-पूर्व), नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम), वायव्य (उत्तर-पश्चिम) दिशाओं के अलावा ऊर्ध्व दिशा (ऊपर) और अधो दिशा (नीचे) का भी समावेश है। इन दसों दिशाओं में दीपक जलाने से जीवन के सभी क्षेत्रों में संतुलन, सौभाग्य और शांति बनी रहती है।
विजयदशमी पर दीपक जलाने का समय भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि सुबह पूजा के समय भगवान श्रीराम के समक्ष दीपक अवश्य जलाना चाहिए। वहीं, घर की अन्य दिशाओं और पौधों के पास दीपक सूर्यास्त के बाद जलाना शुभ होता है। प्रदोष काल (संध्या समय) में दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और समस्त बाधाएं दूर होती हैं।