सदा पापी से पापी को भी तुम, माँ, भव-सिंधु तारी हो
फँसी मझधार में नैय्या को भी पल में उबारी हो
ना जाने, कौन ऐसी भूल मुझसे हो गई, मैय्या
तुम अपने इस बालक को, माँ, मन से बिसारी हो
बिगड़ी मेरी बना दे...
मैय्या जी, मेरी मैय्या
बिगड़ी मेरी बना दे, ऐ शेरोंवाली मैय्या
बिगड़ी मेरी बना दे, ऐ शेरोंवाली मैय्या
बिगड़ी मेरी बना दे, ऐ शेरोंवाली मैय्या
(बिगड़ी मेरी बना दे, ऐ शेरोंवाली मैय्या)
(बिगड़ी मेरी बना दे, ऐ शेरोंवाली मैय्या)
(बिगड़ी मेरी बना दे...)
ओ, बिगड़ी मेरी बना दे, ऐ शेरोंवाली मैय्या
(बिगड़ी मेरी बना दे, ऐ शेरोंवाली मैय्या)
ऐ शेरोंवाली मैय्या, देवास वाली मैय्या
(ऐ शेरोंवाली मैय्या, देवास वाली मैय्या)
मैय्या, मेहरों...
अरे, ऐ मेहरों वाली मैय्या, ऐ खंडवा वाली मैय्या
अपना मुझे बना ले...
अपना मुझे बना ले, मेरी मैय्या
अपना मुझे बना ले, मेरी मैय्या
अपना मुझे बना ले, मेरी मैय्या
ए, मेरी मैय्या
(अपना मुझे बना ले) ऐ मेहरों वाली मैय्या
(अपना मुझे बना ले) ऐ मेहरों वाली मैय्या
बिगड़ी मेरी बना दे
दर्शन को मेरी अँखियाँ कब से तरस रही हैं
(दर्शन को मेरी अँखियाँ कब से तरस रही हैं)
मेरी अँखियाँ, माँ, मेरी ये अँखियाँ
दर्शन को मेरी अँखियाँ कब से तरस रही हैं
(दर्शन को मेरी अँखियाँ कब से तरस रही हैं)
हाँ, सावन के जैसे झर-झर-झर-झर
(सावन के जैसे झर-झर अँखियाँ बरस रही हैं)
दर पे मुझे बुला ले, मैय्या जी
ओ, दर पे मुझे बुला ले, मेरी मैय्या
दर पे मुझे बुला ले, मेरी मैय्या
दर पे मुझे बुला ले, मेरी मैय्या
(दर पे मुझे बुला ले, ऐ शेरोंवाली मैय्या)
(दर पे मुझे बुला ले, ऐ शेरोंवाली मैय्या)
बिगड़ी मेरी बना दे
आते हैं तेरे दर पे दुनिया के नर और नारी, माँ
(आते हैं तेरे दर पे दुनिया के नर और नारी)
आते हैं तेरे दर पे दुनिया के नर और नारी
सुनती हो सब की विनती, मैय्या
(सुनती हो सब की विनती) मेरी मैय्या शेरोंवाली
मुझको दरस दिखा दे...
मैय्या जी, शेरावालिये
मुझको दरस दिखा दे, ऐ मेहरों वाली मैय्या
(मुझको दरस दिखा दे, ऐ मेहरों वाली मैय्या)
ए मेरी मैय्या
(मुझको दरस दिखा दे) ए मेरी मैय्या
(मुझको दरस दिखा दे) ए मेरी मैय्या
(मुझको दरस दिखा) आ
(मुझको दरस दिखा) ओ
(मुझको दरस दिखा) आ
(मुझको दरस दिखा) आ
(मुझको दरस दिखा दे, ऐ मेहरों वाली मैय्या)
बिगड़ी मेरी बना दे
महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने वाली है। अब जब भी कुंभ की बात हो, और शाही स्नान की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता। कुंभ और शाही स्नान एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
शाही स्नान कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण है। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और साधु संत महाकुंभ वाली जगह इकट्ठे होते हैं। इस दौरान सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
अक्षत यानी कि पीले चावल। हिंदू धर्म में अक्षत को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इसे पूजा-पाठ में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। बिना खंडित हुए चावल को अक्षत कहते हैं। यह पूजा में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पवित्रता, समृद्धि और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ अक्षत के बिना अधूरा माना जाता है। यह पूजा का विशेष सामग्री है।
हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है और उनकी कृपा पाने के लिए भक्त विभिन्न प्रकार के उपाय करते हैं। इनमें से एक प्रमुख उपाय है शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाना है।