उनके हाथों में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवा मन वाला, जो मैय्या जी की ताली न बजाए।
(उनके हाथों में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवा मन वाला, जो मैय्या जी की ताली न बजाए।)
अरे,
उनके हाथों में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवा मन वाला, जो मैय्या जी की ताली न बजाए।
माता के दरबार में देखो, भीड़ लगी है अपार।
(माता के दरबार में देखो, भीड़ लगी है अपार।)
जो माता की जय न बोले,
जो माता की जय न बोले, उनको है धिक्कार।
उनकी जिह्वा में, उनकी जिह्वा में,
उनकी जिह्वा में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवा मन वाला, जो मैय्या के जयकारे न लगाए।
(उनके हाथों में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवा मन वाला, जो मैय्या जी की ताली न बजाए।)
मां की मूरत ममता वाली, पावन दिव्य स्वरूप।
(मां की मूरत ममता वाली, पावन दिव्य स्वरूप।)
अरे, सामने आके जो न देखे,
सामने आके जो न देखे, मां का प्यारा रूप।
उनकी आंखों में, उनकी आंखों में,
उनकी आंखों में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवामन वाला, जो मां के दर्शन को न जाए।
(उनके हाथों में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवा मन वाला, जो मैय्या जी की ताली न बजाए।)
मां के द्वारे आए लेकिन, कभी झुके न शीश।
(मां के द्वारे आए लेकिन, कभी झुके न शीश।)
अरे, ऐसे लोगों को अम्बे का,
ऐसे लोगों को अम्बे का, कहां मिले आशीष।
उनके मस्तक पे, उनके मस्तक पे,
उनके मस्तक पे लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवामन वाला, जो मां के आगे शीश न झुकाए।
(उनके हाथों में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवा मन वाला, जो मैय्या जी की ताली न बजाए।)
ढोल, नगाड़े ढम - ढम बाजे, जयकारे की धूम।
(ढोल, नगाड़े ढम - ढम बाजे, जयकारे की धूम।)
यहां खुशी में कोई निरंजन, जय हो।
यहां खुशी में कोई निरंजन, अगर न जाए छूट।
उनके पैरों में, उनके पैरों में,
उनके पैरों में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवामन वाला, जो आज खुशी में नाच न पाए।
(उनके हाथों में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवा मन वाला, जो मैय्या जी की ताली न बजाए।)
जो मैय्या जी ताली न बजाए।
(जो मैय्या जी ताली न बजाए।)
(जो मैय्या जी ताली न बजाए।)
होली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे रंगों और उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी होली को होलिका दहन कहा जाता है।
होली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी होली को होलिका दहन के रूप में जाना जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और भक्त प्रह्लाद तथा होलिका की कथा से जुड़ा हुआ है।
होलिका दहन से पहले 8 दिन होलाष्टक तिथि लगती है जिसमें कोई मांगलिक कार्य नहीं होता है। पुराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि यह समय भक्त प्रह्लाद पर किए गए अत्याचारों को दर्शाता है।
बरसाने में हर साल लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाई जाती है। इस साल 2025 में यह त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ राधारानी से भेंट करने के लिए बरसाना गए, और वहां जाकर राधारानी और उनकी सखियों को छेड़ने लगे।