मैया जी घर आए,
गौरी माँ, माँ शारदा,
गौरी माँ, माँ शारदा,
धन्य हुई धरती सारी झूमा आसमा,
सोलह श्रृंगार कर आई देखो माँ,
गौरी माँ, माँ शारदा,
गौरी माँ, माँ शारदा ॥
ब्रम्हा करे सत्कार देखो मैया आई है,
विष्णु करे जयकार देखो मैया आई है,
भोले बाबा डम डम डम डम डमरू बजाए रे,
तीनो देव झूमे आज महिमा गाए रे,
गौरी माँ, माँ शारदा,
गौरी माँ, माँ शारदा ॥
राम जी के मन के तार जपे मैया आई रे,
लक्ष्मण सजाये द्वार देखो मैया आई रे,
सीता जी ने मा अम्बा की चोकी सजाई रे,
अवध पुरी में आज खुशिया छाई रे,
गौरी माँ, माँ शारदा,
गौरी माँ, माँ शारदा ॥
ओ करे दाऊ भी पुकार देखो मैया आई रे,
राधा करे सिंगार देखो मैया आई रे,
कान्हा जी ने मीठी मीठी बंसी बजाई रे,
ब्रज मंडल में मां की ममता छाई रे,
गौरी माँ, माँ शारदा,
गौरी माँ, माँ शारदा ॥
खिले सूर्य की चमकार देखो मैया आई रे,
तारों का चमकता प्यार कहे मैया आई रे,
चंदा ने भी चांदनी को दी बधाई रे,
बादलों ने मल्हारी जमके गायी रे,
गौरी माँ, माँ शारदा,
गौरी माँ, माँ शारदा ॥
कहे गंगा की जलधार देखो मैया आई रे,
यमुना कहे हर बार देखो मैया आई रे,
सारी नदियों में खुशी की लहर छाई रे,
झूम झूम आज सब ने दी बधाई रे,
गौरी माँ, माँ शारदा,
गौरी माँ, माँ शारदा ॥
बहे खुशबू की बहार देखो मैया आई रे,
ओ झूमे में आज नर नार देखो मैया आई रे,
सिंह चढ़े आई मैया दो बधाई रे,
भेंट मैया की आज हमने गाई रे,
गौरी माँ, माँ शारदा,
गौरी माँ, माँ शारदा ॥
मैया जी घर आए ॥
कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय और शिव को समर्पित है। यह उत्सव तमिल माह कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को आयोजित होता है।
हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,
नमामी राधे नमामी कृष्णम,
नमो नमो नमो नमो ॥
श्लोक – सतसाँच श्री निवास,
मैंने पाया नशा है,
मेरा बस तुझमे,