गजानन गणपति महाराज भक्त वत्सल और हर मनोकामना को पूर्ण करने वाले देवता हैं। रिद्धि-सिद्धि के दाता गणेश जी अपने सच्चे भक्तों को सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली देते हुए उनका सदैव ध्यान रखते हैं। गणपति महाराज ने कई बार अपने भक्तों का उद्धार किया है जिसकी कई कथाएं हैं।
भक्त वत्सल की गणेश चतुर्थी स्पेशल सीरीज ‘गणेश महिमा’ में आज हम आपके सामने भगवान गणेश और भक्तों के एक अटूट रिश्ते की एक और कथा लेकर हाजिर हैं…
एक नगर में एक ब्राह्मण देवता, उनकी पत्नी और एक पुत्र निवास करते थे। ब्राह्मण का छोटा सा बच्चा गणेश जी का परम भक्त था। वो दिन-रात गणेश जी के मंदिर में भगवान की सेवा किया करता था। गणेश जी की सेवा के अलावा घर के किसी काम में ध्यान नहीं देता था। इस बात से उसकी मां बहुत फिक्र में रहा करती थी।
वह अकेले घर का सारा काम करती थीं और बहुत दुखी रहा करती थी। ब्राह्मणी का इस बात को लेकर अपने पति से भी झगड़ा होता था। वो बेटे को समझाने की कोशिश करती। साथ ही पति को उसे समझाने का कहती, लेकिन उनका बेटा उनकी बातों पर जरा भी गौर नहीं करता था।
एक दिन बेटा इस रोज-रोज के प्रपंच से परेशान हो गया और घर से भाग गया। उसने बहुत दुखी मन से यह प्रण लिया कि अब वो गणेश जी से मिलकर ही वापस घर लौटेगा। मन में इस बात को ठान वो पक्का इरादा लेकर जोर-जोर से ‘जय गणेश, जय गणेश’ बोलते-बोलते घर से निकल पड़ा। चलते-चलते वो सुदूर एक घने जंगल में पहुंच गया।
अकेले होने के कारण अब लड़के को भय का एहसास होने लगा। लेकिन उसने ‘जय गणेश, जय गणेश’ का जाप नहीं छोड़ा। उसकी यह सच्ची भक्ति देख गणेश की सेवा में लगी रिद्धि-सिद्धि बोलीं- महाराज, यह बच्चा सच्चे मन से आपके भरोसे दुनिया छोड़कर जंगल में आ गया है। डर रहा है लेकिन आपका नाम सुमिरन नहीं छोड़ रहा है। उसकी रक्षा करो भगवन।
तभी भगवान उसके सामने एक आम मनुष्य के रूप में प्रकट हुए और बोले- क्यों रो रहे हो बालक? लड़का ने कहा, मैं भगवान गणेश जी से मिलना चाहता हूं। इस जंगल में मुझे बहुत डर लग रहा है। तब गणेश जी ने हंसते हुए उससे कहा, क्या मैं तुम्हारा डर दूर कर सकता हूं।
तभी लड़के ने फिर डरते-डरते जय गणेश का जाप शुरू कर दिया। उसकी सच्ची लगन देखकर फिर गणेश जी ने अपने सच्चे स्वरूप में लड़के को दर्शन दिए और उसे घर चले जाने को कहा। लड़का खुशी-खुशी घर लौट आया। जब उसने अपने घर को देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। क्योंकि अब वहां उसके घर की जगह एक महल था। महल के बाहर हाथी घोड़े और नौकर चाकर थे। जैसे ही वो महल के अंदर पहुंचा वहां उसे एक सुंदर राजकुमारी दुल्हन के रूप में बैठी दिखाई दी।
उसके पास लड़के की मां खड़ी थी। वो बोलीं- तेरी सच्ची भक्ति से भगवान गणेश जी ने हम पर बहुत कृपा की है। आज से हम सब भी गणेश जी की पूजा करेंगें। कहानियां काल्पनिक हो सकती हैं लेकिन प्रेरणादायक जरूर होती है। यह कहानी हमें सच्ची भक्ति और भक्ति की शक्ति का आभास करवाती है।
गणेश चतुर्थी: श्री गणेश की पूजन
बिगड़ी बनाने वाली,
कष्ट मिटाने वाली,
भोले भाले डमरू वाले,
नंदी के असवार,
बिगड़ी किस्मत को बनाना,
शिव भोले का काम है,
शिव है दयालु, शिव है दाता
शिव पालक है इस श्रिष्टि के