सनातन धर्म में कई सारे व्रत और त्योहार होते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन करवा चौथ का व्रत बहुत ही खास माना गया है जो कि हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है। महिलाएं इस दिन कठिन उपवास रखती है और करवा माता की विधिवत पूजा करती है। करवा चौथ पर निर्जला व्रत किया जाता है और शाम को सोलह श्रृंगार करके पूजा की जाती है और कथा सुनी जाती है। इस साल करवा चौथ पर 21 मिनट के लिए भद्रा लग रही है।
पंचाग के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्थी 20 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर शुरु हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी कि 21 अक्टूबर को प्रातः 4 बजकर 16 मिनट पर होगा। ऐसे में करवा चौथ का व्रत इस साल 20 अक्टूबर के दिन रविवार को करना शुभ रहेगा। इस दिन महिलाएं व्रत जरुर रखें।
करवा चौथ पर भद्रा का साया रहेगा। ये भद्रा दिन में केवल 21 मिनट के लिए रहेगी। जिसका वास स्थान स्वर्ग है। करवा चौथ के दिन भद्रा सुबह 6 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह के 6 बजकर 46 मिनट तक है।
करवा चौथ पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 2 मिनट का है ऐसे में महिलाओं को पूजा करने के लिए एक घंटा 16 मिनट का समय मिलेगा।
इस साल करवा चौथ के मौके पर चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 54 मिनट बजे है। इस समय से आप चंद्रमा को अर्घ्य दे सकती है। उसके बाद पारण करके व्रत को पूरा कर सकती है। व्रत के दिन चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होगा और वरीयान योग होगा।
हिंदू धर्म में, थाईपुसम एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह त्योहार विशेषकर तमिल समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार माघ माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शंकर भगवान के बड़े पुत्र भगवान मुरुगन यानि कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
हिंदू धर्म में, सूर्य देव के राशि परिवर्तन को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य जब दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं, तब इसे संक्रांति कहा जाता है। दरअसल, सूर्य जिस राशि में प्रवेश कर सकते हैं, उस दिन को उसी राशि के संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
मां ललिता देवी का मंदिर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर 88 हजार ऋषियों की तपस्थली, वेदों और पुराणों की रचना स्थली नैमिषारण्य में स्थित है। मां ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है।
सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। इनके राशि बदलने से मनुष्य समेत प्रकृति पर भी प्रभाव पड़ता है। बीते 14 जनवरी को सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया था। जिसके बाद सूर्य उत्तरायण हो गए और शुभ दिन शुरू हुआ।