देशभर में शिव जी को समर्पित कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जिनकी अपनी मान्यता और महत्व है। दिल्ली-एनसीआर में मौजूद एक ऐसा मंदिर है जहां एक विशाल शिवलिंग मौजूद है, जिसकी रखवाली के लिए हर समय एक नहीं बल्कि दो नंदी महाराज तैनात रहते हैं। बता दें कि दिल्ली एनसीआर में फरीदाबाद के सेक्टर-49 में सैनिक नामक कॉलोनी है, जिसके अंदर शिव जी को समर्पित एक प्राचीन मंदिर स्थित है। यहां पर जो शिवलिंग मौजूद है, उसकी लंबाई कम से कम 21 फीट है। इसी वजह से इस मंदिर के शिवलिंग को दिल्ली एनसीआर का सबसे बड़ा शिवलिंग कहा जाता है।
दिल्लीवासियों के बीच यह मंदिर काफी लोकप्रिय है और श्रद्धालुओं के द्वारा यहां पर रोजाना शिवलिंग का जल से अभिषेक किया जाता है। जानकारी के अनुसार, करीब 20 साल पहले इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था, जिसके लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन के दौरान जो भी श्रद्धालु इस शिव मंदिर में आकर शिवलिंग का अभिषेक करता है, भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। यही वजह है कि सावन के दौरान इस शिव मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। इसके साथ ही शिवरात्रि के दौरान भी मंदिर की भव्यता और भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है।
शिव मंदिर में विशाल शिवलिंग के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ, मां पार्वती और गणेश जी की भी मूर्ति है। आमतौर पर शिव जी के किसी भी मंदिर में नंदी महाराज की एक मूर्ति होती है, लेकिन इस मंदिर में एक नहीं बल्कि दो नंदी मूर्तियां हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पर मौजूद नंदी महाराज की मूर्तियां मंदिर की रखवाली करती हैं।
मंदिर का पता सी-3, ब्लॉक सी 4, सफदरजंग विकास क्षेत्र हौज खास नई दिल्ली है। मंदिर पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा मंदिर पहुंचने का निकटतम मेट्रो स्टेशन आईआईटी दिल्ली मेट्रो स्टेशन है। आप यहां से मंदिर तक जाने के लिए ई रिक्शा कर सकते हैं।
समय : सुबह 6:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे,
शाम : 4:00 बजे से रात 8:30 बजे तक
जरा इतना बता दे कान्हा,
कि तेरा रंग काला क्यों ।
जरा फूल बिछा दो आँगन में,
मेरी मैया आने वाली है,
जय हो बाबा विश्वनाथ,
जय हो भोले शंकर,
शाबर मंत्र भगवान शिव की विशेष कृपा का प्रतीक हैं, जो मनुष्य की समस्याओं को सहजता से हल करने के लिए बनाए गए। ये मंत्र संस्कृत के कठिन श्लोकों के विपरीत, क्षेत्रीय भाषाओं और बोली में रचे गए हैं, जिससे हर कोई इन्हें आसानी से पढ़ और उपयोग कर सकता है।