इस इस्कॉन मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी भगवद गीता है मौजूद
दिल्ली एनसीआर में आपने कई इस्कॉन टेम्पल देखे होंगे, लेकिन क्या आप जानते है दिल्ली का पहला इस्कॉन मंदिर कौन है? हम बात कर रहे हैं श्री श्री राधा पार्थसारथी मंदिर की जिसका उद्घाटन अटल विहारी वाजपेयी द्वारा किया गया था। यह मंदिर ईस्ट ऑफ कैलाश इलाके में स्थित है। ये खूबसूरत धार्मिक प्लेस लोटस टेम्पल और कालकाजी मंदिर के पास है।
ऐसा बताते हैं कि इसके अंदर की दीवारों को रूसी कलाकारों ने सजाया है। इस मंदिर को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और जन्माष्टमी पर तो यहां अलग ही जश्न देखने को मिलता है। भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर का उद्घाटन 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी ने किया था। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 फरवरी, 2019 को इस मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी भगवद गीता को रखा था। 800 किलोग्राम वजन वाली इस गीता में 670 पन्ने हैं। करीबन 90 मीटर ऊंचे शिखर और 3 एकड़ में फैले इस मंदिर के मेन हॉल में भगवान श्री कृष्ण, राधा रानी और दूसरे देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
माहौल कर देगा कृष्ण की लीला में खोने को मजबूर
मंदिर में आरती के समय यहां का पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है। जन्माष्टमी, रामनवमी, गौरी पूर्णिमा और राधाष्टमी के दिनों में यहां कुछ ज्यादा ही भीड़ देखने को मिलती है। इस्कॉन मंदिर में रोज पूजा-अर्चना के साथ 6 आरती होती हैं। इसमें सुबह 4:30 बजे मंगला आरती, राज भोग आरती, संध्या आरती, और रात 8:30 बजे शयन आरती बहुत खास होती हैं।
समय: सुबह 4:30 बजे से शाम 09:00 बजे तक
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक चंद्र मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए भक्त हर महीने इस तिथि को उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।
हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत किया जाता है। माघ माह की स्कंद षष्ठी 3 फरवरी 2025 को पड़ेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था।
हिन्दू धर्म के अनुसार, भगवान विष्णु समय-समय पर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश करने के लिए अवतार लेते हैं। कल्कि, विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार माने जाते हैं।
मां दुर्गा का रूप शक्ति और वीरता का प्रतीक है। वे राक्षसों और असुरों से संसार को बचाने वाली देवी हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक बल मिलता है।