ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
सत्य है ईश्वर,
शिव है जीवन,
सुन्दर यह संसार है ।
तीनो लोक हैं तुझमे,
तेरी माया अपरम्पार है ॥
ॐ नमः शिवाय नमो,
ॐ नमः शिवाय नमो
मन मेरा मंदिर,
शिव मेरी पूजा,
शिव से बड़ा,
नहीं कोई दूजा ।
बोल सत्यम शिवम्,
बोल तू सुंदरम,
मन मेरे शिव की महिमा,
के गुण गए जा ॥
पार्वती जब सीता बन कर,
जय श्री राम के सन्मुख आयी ।
राम ने उनको माता कह कर,
शिव शंकर की महिमा गायी ।
शिव भक्ति में सब कुछ सुझा,
शिव से बढ़कर नहीं कोई दूजा ।
॥ बोल सत्यम शिवम्...॥
तेरी जटा से निकली गंगा,
और गंगा ने भीष्म दिया है ।
तेरे भक्तो की शक्ति ने,
सारे जगत को जीत लिया है ।
तुझको सब देवों ने पूजा,
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा।
॥ बोल सत्यम शिवम्...॥
मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा,
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा ।
बोल सत्यम शिवम्, बोल तू सुंदरम,
मन मेरे शिव की महिमा के गुण गए जा ॥
मासिक शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती कि विशेष रूप से पूजा की जाती है, जो शिव भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
हिंदू धर्म में प्रत्येक अमावस्या का विशेष महत्व होता है, लेकिन वैशाख माह की अमावस्या विशेष रूप से फलदायक मानी जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि को पितरों की शांति और मोक्ष के लिए उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन किए गए तर्पण, पिंडदान और पूजा से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में पितृ दोष को एक ऐसा महत्वपूर्ण योग माना गया है, जो जातक के जीवन में अनेक बाधाएं उत्पन्न करता है।