मन लेके आया माता रानी के भवन में (Man Leke Aaya Mata Rani Ke Bhawan Mein)

मन लेके आया,


माता रानी के भवन में


बड़ा सुख पाया,


बड़ा सुख पाया,


माती रानी के भवन में ।


॥ मन लेके आया...॥



जय जय माँ, अम्बे माँ,


जय जय माँ, जगदम्बे माँ


जय जय माँ, अम्बे माँ,


जय जय माँ, जगदम्बे माँ



मैं जानू वैष्णव माता,


तेरे ऊँचे भवन की माया,


भैरव पर क्रोध में आके,


माँ तूने त्रिशूल उठाया ।


वो पर्बत जहां पे तूने,


शक्ति का रूप दिखाया,


भक्तो ने वहीँ पे मैया,


तेरे नाम का भवन बनाया ॥


बड़ा सुख पाया,


बड़ा सुख पाया,


माती रानी के भवन में ।


॥ मन लेके आया...॥


॥ जय जय माँ, अम्बे माँ...॥



तेरे तेज ने ज्वाला मैया,


जब उजियारा फैलाया,


शाह अकबर नंगे पैरों,


तेरे दरबार में आया ।


तेरी जगमग ज्योत के आगे,


श्रद्धा से शीश झुकाया,


तेरे भवन की शोभा देखी,


सोने का क्षत्र चढ़ाया ॥


बड़ा सुख पाया, बड़ा सुख पाया,


माती रानी के भवन में ।


॥ मन लेके आया...॥


॥ जय जय माँ, अम्बे माँ...॥



हे चिंतपूर्णी माता,


तेरी महिमा सबसे न्यारी,


दिए भाईदास को दर्शन,


तू भक्तो की है प्यारी ।


जो करे माँ तेरा चिंतन,


तू चिंता हर दे सारी,


तेरे भवन से झोली भरके,


जाते हैं सभी पुजारी ॥


बड़ा सुख पाया,


बड़ा सुख पाया,


माती रानी के भवन में ।


॥ मन लेके आया...॥


॥ जय जय माँ, अम्बे माँ...॥



माँ नैना देवी तूने,


यह नाम भगत से पाया,


नैना गुज्जर को तूने,


सपने में दरश दिखाया ।


आदेश पे तेरे उसने,


तेरा मंदिर बनवाया,


जीवन भर बैठ भवन में,


माँ तेरा ही गुण गया ॥


बड़ा सुख पाया,


बड़ा सुख पाया,


माती रानी के भवन में ।



मन लेके आया,


माता रानी के भवन में


बड़ा सुख पाया,


बड़ा सुख पाया,


माती रानी के भवन में ।



जय जय माँ, अम्बे माँ,


जय जय माँ, जगदम्बे माँ


जय जय माँ, अम्बे माँ,


जय जय माँ, जगदम्बे माँ

........................................................................................................
शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर (Shiva Stuti: Ashutosh Shashank Shekhar )

आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥

आरती भगवान गिरिधारी जी की ( Aarti Bhagwan Giridhari Ji Ki)

जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी।
दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥

ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi Panchami Vrat Katha)

श्री ऋषिपंचमी व्रत कथा (भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को किया जाने वाला व्रत) राजा सुताश्व ने कहा कि हे पितामह मुझे ऐसा व्रत बताइये जिससे समस्त पापों का नाश हो जाये।

एकादशी पूजन विधि (Ekadashi Poojan Vidhi )

एकादशी पूजन में विशेष तौर से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है इस दिन पवित्र नदी या तालाब या कुआं में स्नान करके व्रत को धारण करना चाहिए

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।