धन्य वह घर ही है मंदिर,
जहाँ होती है रामायण,
जहाँ होती है रामायण,
जहाँ होती है रामायण,
धन्य वह घर ही हैं मंदिर,
जहाँ होती है रामायण ॥
यही है कर्म की कुंजी,
यही है धर्म की पूंजी,
यही है धर्म की पूंजी,
महापतितों से पतितों के,
महापतितों से पतितों के,
भी पाप धोती है रामायण,
धन्य वह घर ही हैं मंदिर,
जहाँ होती है रामायण ॥
यही है संतो की महिमा,
यही है विश्व की गरिमा,
यही है विश्व की गरिमा,
मुक्ति का मार्ग दिखलाती,
मुक्ति का मार्ग दिखलाती,
भजन ज्योति है रामायण,
धन्य वह घर ही हैं मंदिर,
जहाँ होती है रामायण ॥
धन्य वह घर ही है मंदिर,
जहाँ होती है रामायण,
जहाँ होती है रामायण,
जहाँ होती है रामायण,
धन्य वह घर ही हैं मंदिर,
जहाँ होती है रामायण ॥
हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। मोहिनी एकादशी को विशेष रूप से भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी माना जाता है। यह एकादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
सनातन धर्म में एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए खास माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन किए जाते हैं। मान्यता है कि एकादशी व्रत से जीवन के दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना को अत्यंत फलदायक माना गया है। विशेष रूप से प्रदोष व्रत को बहुत ही पावन और शुभ माना जाता है। इस व्रत को हर महीने की त्रयोदशी तिथि (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में) को रखा जाता है। मई 2025 में पहला प्रदोष व्रत वैशाख शुक्ल त्रयोदशी को आएगा, जो कि शुक्रवार के दिन है।
भारत एक ऐसा देश है जहां हर राज्य की अपनी अलग परंपरा और संस्कृति है। केरल का त्रिशूर पूरम ऐसा ही एक रंगीन और भव्य उत्सव है, जो न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी एक खास आकर्षण होता है।