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धन्य वह घर ही है मंदिर, जहाँ होती है रामायण (Dhanya Wah Ghar Hi Hai Mandir Jahan Hoti Hai Ramayan)

धन्य वह घर ही है मंदिर, जहाँ होती है रामायण (Dhanya Wah Ghar Hi Hai Mandir Jahan Hoti Hai Ramayan)

धन्य वह घर ही है मंदिर,

जहाँ होती है रामायण,

जहाँ होती है रामायण,

जहाँ होती है रामायण,

धन्य वह घर ही हैं मंदिर,

जहाँ होती है रामायण ॥


यही है कर्म की कुंजी,

यही है धर्म की पूंजी,

यही है धर्म की पूंजी,

महापतितों से पतितों के,

महापतितों से पतितों के,

भी पाप धोती है रामायण,

धन्य वह घर ही हैं मंदिर,

जहाँ होती है रामायण ॥


यही है संतो की महिमा,

यही है विश्व की गरिमा,

यही है विश्व की गरिमा,

मुक्ति का मार्ग दिखलाती,

मुक्ति का मार्ग दिखलाती,

भजन ज्योति है रामायण,

धन्य वह घर ही हैं मंदिर,

जहाँ होती है रामायण ॥


धन्य वह घर ही है मंदिर,

जहाँ होती है रामायण,

जहाँ होती है रामायण,

जहाँ होती है रामायण,

धन्य वह घर ही हैं मंदिर,

जहाँ होती है रामायण ॥

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फागण को महीनो, लिख दीन्यो बाबा जी के नाम (Fagan Ko Mahino Likh Dino Baba Ji Ke Naam)

फागण को महीनो,
लिख दीन्यो बाबा जी के नाम,

फागुन की रुत फिर से आई, खाटू नगरी चालो (Fagun Ki Rut Phir Se Aayi Khatu Nagri Chalo)

फागुन की रुत फिर से आई,
खाटू नगरी चालो,

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करे हाहाकार निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ?

गाइये गणपति जगवंदन (Gaiye Ganpati Jagvandan)

गाइये गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

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