जुबां पे राम का नाम होना चाहिए,
मन मंदिर में राम होना चाहिए,
मन मंदिर में राम होना चाहिए ॥
सीताराम चरित अति पावन,
तुलसी करते गायन,
मर्यादा बिन राम है सूने,
कहती है रामायण,
मन अपना अयोध्या धाम होना चाहिए,
मन मंदिर में राम होना चाहिए ॥
मन मंदिर के सिंहासन पे,
सजेगा राम का आसन,
निर्मल मन तेरा हो जाएगा,
राम करेंगे शाशन,
पापों पे पूर्ण विराम होना चाहिए,
मन मंदिर में राम होना चाहिए ॥
जब जब होगी घर घर अंदर,
राम चरित की पूजा,
हनुमत की किरपा बरसेगी,
राम राज्य तब होगा,
प्रभु राम पे हमें अभिमान होना चाहिए,
मन मंदिर में राम होना चाहिए ॥
श्री राम चरित मानस अपनाकर,
राम चरित तुम गाओ,
कहता ‘रोमी’ पापी मन में,
राम की ज्योत जगाओ,
सियाराम का हमें गुलाम होना चाहिए,
मन मंदिर में राम होना चाहिए ॥
जुबां पे राम का नाम होना चाहिए,
मन मंदिर में राम होना चाहिए,
मन मंदिर में राम होना चाहिए ॥
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है जो भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की स्मृति में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है।
विवाह पंचमी पर केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन अयोध्या और जनकपुर में विशेष उत्सव और शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं।
हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत किया जाता है। इस खास अवसर पर गणपति की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विशेष प्रकार का व्रत भी किया जाता है।
मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत विधि- विधान से करने पर भगवान गणेश, रिद्धि-सिद्धि और विद्या का वरदान देते हैं। विनायक चतुर्थी का व्रत 5 दिसंबर को किया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश के 12 नामों का जाप करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।