जयंती मंगला काली,
भद्र काली कपालिनी,
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री,
स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ।
बड़े मान से जमाना,
माँ तुमको पूजता है,
तेरे नाम का तराना,
त्रिभुवन में गूंजता है ।
बड़े मान से जमाना,
माँ तुमको पूजता है ॥
होती दया की जिसपे नजर,
दुनिया में होता वो बेखबर,
चरणों में वो दीवाना,
चौखट को चूमता है ।
बड़े मान से जमाना,
माँ तुमको पूजता है ॥
भक्तो को देती वरदान है,
पुरे करे सब अरमान है,
रुतबा बड़ा सुहाना,
हर्षय में घूमता है ।
बड़े मान से जमाना,
माँ तुमको पूजता है ॥
पापी ह्रदय को निर्मल करो,
भक्ति से मेरा दामन भरो,
चेतन झलक दिखा दो,
मन तुमको ढूंढता है ।
बड़े मान से जमाना,
माँ तुमको पूजता है ॥
बड़े मान से जमाना,
माँ तुमको पूजता है,
तेरे नाम का तराना,
त्रिभुवन में गूंजता है ।
बड़े मान से जमाना,
माँ तुमको पूजता है ॥
शारदीय नवरात्र के बाद 10वें दिन दशहरे का त्योहार देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था और भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।
हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाता है जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।
जब बरसों के इंतजार के बाद श्रीराम शबरी की कुटिया में पहुंचे, तो उनके बीच एक अनोखा संवाद हुआ।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है, जो भगवान राम और उनकी भक्त शबरी के बीच के पवित्र बंधन का प्रतीक है।