जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
दर्द जो होंदे दर्द मिटान्दी
माँ की कृपा दी माते बुलान्दी
माँ शेरावालिये
तेरा शेर आ गया
अपने खून से नहलाने
तेरा बेटा आ गया
माँ शेरावालिये
तेरा शेर आ गया
अपने खून से नहलाने
तेरा बेटा आ गया
माँ शेरावालिये
माँ ज्योतावालिये
माँ मेहरावालिये
माँ लातावालिये
मुझे मिला तेरा संग
मैं तो हो गया हूँ दंग
उठी ऐसी तरंग
चढ़ा भक्ति का रंग
कहे मन की उमंग
दिल हुआ है मलंग
झूमे मेरा अंग अंग
मुझे दिया तूने रंग
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
माता तेरी चिट्ठी आ गयी है प्यार दी
माता तेरी चिट्ठी आ गयी है प्यार दी
ज़िंद मेरी आयी है छलांगा मारदी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
देखा जो तुझे देखता ही रह गया
देखा जो तुझे देखता ही रह गया
मेहरावालिये मैं तेरे पैरी पे गया
भेंट चढ़ाने तेरा बेटा आ गया
अपने खून से नहलाने
तेरा बेटा आ गया
माँ शेरावालिये तेरा शेर आ गया
अपने खून से नहलाने
तेरा बेटा आ गया
माँ शेरावालिये
माँ ज्योतावालिये
माँ मेहरावालिये
माँ लातावालिये
तेरे बाजु है हजार
तेरे बाजु है तलवार
कई सुम्भ निशुम्ब
दिए तूने संहार
तेरी शक्ति अपार
सुन बेटे की पुकार
तेरी शरण में आये
कर बेड़ा मेरा पार
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
बिन मांगे पूरी की है तूने आरज़ू
बिन मांगे पूरी की है तूने आरज़ू
जहां देखूं आती है नज़र मुझे तू
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जान ये निछावर मैं तुझपे कर दूँ
जान ये निछावर मैं तुझपे कर दूँ
काम तेरे आजाये मेरा ये लहू
क़र्ज़ चुकाने तेरा बेटा आ गया
अपने खून से नहलाने
तेरा बेटा आ गया
माँ शेरावालिये
माँ ज्योतावालिये
माँ मेहरावालिये
माँ लातावालिये
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
ओ माँ… शेरावालिये
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन, ऊषा अर्घ्य, इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक पल होता है। इस दिन, व्रती महिलाएं सूर्य देव को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करती हैं।
सनातन धर्म में दीपावली का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस त्योहार के लिए हर घर में साफ सफाई और सजावट शुरू हो जाती है।
पूरे भारतवर्ष में दीपावली का त्योहार बहुत ही आनंद, उत्साह और उम्मीद के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु विभिन्न प्रकार के जप- तप, हवन एवं पूजन किए जाते हैं।
समुद्र मंथन के दौरान जब असुर और देवताओं में स्पर्धा हो रही थी, तब माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। माता लक्ष्मी के प्रताप से समस्त जगत बिजली की तरह जगमगा उठा था।