ब्रह्मा जी के पांच मंदिर (Brahma Ji ke Paanch Mandir)

पुष्कर के अलावा इन पांच और मंदिरों में कर सकते हैं भगवान ब्रह्मा के दर्शन 

राजस्थान में पुष्कर स्थित ब्रह्मा जी के मंदिर के बारे में शायद आप सभी जानते हैं। इसे ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे देश में ब्रह्मा जी के पांच और भी भव्य, दिव्य, प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर मौजूद हैं। जी हां! पुष्कर राजस्थान में स्थित ब्रह्मा जी के मंदिर की उत्पत्ति से संबंधित कहानी आपने सुनी होगी। लेकिन आज हम आपको ब्रह्मा जी के अन्य सभी मंदिरों के बारे में सब कुछ बताते हैं जो शायद आपको पता नहीं होगा। 


ब्रह्म देव का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर स्थित है राजस्थान के ही आसोतरा में। इस मंदिर की स्थापना 20 अप्रैल 1961 को हुई। राजस्थान के बाड़मेर जिले बालोतरा उपखण्ड मुख्यालय से 11 किमी जालोर रोड पर श्रीखेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ, आसोतरा भारत का पहला ऐसा ब्रह्माजी का मंदिर है। जिसमें ब्रम्हाजी माता सावित्री के साथ विराजमान है। मंदिर का निर्माण राजपुरोहित समाज के कुलगुरु श्री श्री 1008 श्री खेताराम जी महाराज द्वारा किया गया है। 


आसोतरा जो जोधपुर हवाई अड्डे से 100 किमी की दूर है। यह गांव राजस्थान के सभी बड़े शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।  


आसोतरा स्थित ब्रह्मा जी के मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य -

  • यहां हर दिन 100 किलोग्राम अनाज पक्षियों को खिलाया जाता है।

  • यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ब्रह्माजी का मंदिर है।

  •  मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा 6 मई 1984 की गई थी।

  • मंदिर के प्रवेश द्वार पर दोनों तरफ गुजरात की प्रतिमा है जिन पर इन्द्र और कुबेर आसीन है। उनके साथ सारथी की प्रतिमा भी है।

  • मंदिर के अंदर चारों ओर राजपुरोहित समाज के विभिन्न गोत्र के प्रवर्तक अष्ट ऋषियों की प्रतिमाएं है।

  • यहां साल के सबसे बड़े महोत्सव के रूप में प्रतिवर्ष बरसी महोत्सव एवं खेतेश्वर दाता की पुण्यतिथि का भव्य आयोजन होता है।

  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व, महाशिवरात्रि पर्व, गुरु पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा आदि पर विशेष उत्सव मनाए जाते हैं।

  •  मंदिर का मुख्य सभागार को बनाने के लिए जैसलमेर के प्रसिद्ध पीले पत्थरों का उपयोग किया गया है।

  •  मंदिर के निर्माण में सबसे ज्यादा जोधपुरी पत्थरों का प्रयोग किया गया है।

  • मंदिर में स्थित भगवान ब्रह्मा की संगमरमर की प्रतिमा पर अद्वितीय कलाकारी देखी जा सकती है।


कौन है मंदिर निर्माता ब्रह्मऋषि संत खेताराम जी महाराज 

आसोतरा में ब्रह्मा जी के इस मंदिर का निर्माण करने वाले ब्रह्मऋषि संत खेताराम जी महाराज राजस्थान के परम संतों में शामिल हैं। उन्होंने प्राणी मात्र के प्रति दया और सहानुभूति के भाव को जीवन का उद्देश्य बनाकर मानव सेवा में जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने जीव हत्या पर रोक लगाई। राजपुरोहित समाज में बकरी रखना बंद करवाया। उनकी प्रेरणा से आज राजपुरोहित समाज ने कई सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति पाई है। उन्होंने सर्वप्रथम नशा मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करने हेतु अभियान चलाए।


आदि ब्रह्मा मंदिर कुल्लू घाटी खोखन

ब्रह्मा जी का तीसरा मंदिर देश की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक कुल्लू घाटी में स्थित है। बौद्ध धर्मावलंबियों के प्रभाव से मंदिर का नाम आदि ब्रह्मा मंदिर रखा गया।  


ब्रह्मा मंदिर, कुंभकोणम

इस मंदिर की स्थापना को लेकर पौराणिक मान्यता है कि एक समय ब्रह्मा जी को अपने आप पर अहंकार हो गया था। भगवान शिव और विष्णु ने उन्हें डराने और अहंकार से मुक्ति दिलाने के लिए एक भूत बनाया जिससे डरकर ब्रह्मा जी ने विष्णु जी से मदद मांगी। विष्णु ने उन्हें पृथ्वी पर तपस्या करने की सलाह दी। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने कुंभकोणम में तपस्या की थी जहां आज यह मंदिर स्थित है। 


ब्रह्मपुरी ईश्वर मंदिर, तिरुपत्तूर 

ब्रह्मपुरी ईश्वर मंदिर, तिरुपत्तूर की स्थापना को लेकर पौराणिक कथा है कि पार्वती ने एक बार ब्रह्मा जी को गलती से शिव समझ लिया जिससे क्रोधित हो शिव ने ब्रह्मा का एक सिर काट कर उन्हें शक्ति विहीन कर दिया। इसके बाद ब्रह्मा तीर्थयात्रा पर चले गए और इस दौरान तिरुपत्तूर पहुंचे, जहां उन्होंने शिव आराधना कर प्रायश्चित हेतु 12 शिवलिंग की स्थापना की। शिव उन पर प्रसन्न हुए और उन्हें श्राप से मुक्त करते हुए शक्तियां लौटा दी। तभी से यहां इस मंदिर में ब्रह्मा की पूजा होने लगी। 


ब्रह्मा करमाली मंदिर, पणजी 

वालपोई से लगभग सात किमी और पणजी से लगभग 60 किमी दूर स्थित ब्रह्मा करमाली मंदिर 11वीं शताब्दी से अस्तित्व में आया है। माना जाता है कि मंदिर में ब्रह्मा जी की काली पत्थर की मूर्ति 20 वीं शताब्दी में गोवा के कैरम्बोलिम में लाई गई थी।


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