घनश्याम तुम्हारे मंदिर में (Ghanshyam Tumhare Mandir Mein)

घनश्याम तुम्हारे मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,

वाणी में तनिक मिठास नहीं,

पर विनय सुनाने आई हूँ ॥


मैं देखूं अपने कर्मो को,

फिर दया को तेरी करूणा को,

ठुकराई हुई मैं दुनिया से,

तेरा दर खटकाने आई हूँ,

घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ ॥


प्रभु का चरणामृत लेने को,

है पास मेरे कोई पात्र नहीं,

आँखों के दोनों प्यालों में,

मैं भीख मांगने आई हूँ,

घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ ॥


तेरी आस है श्याम निवाणीअणु,

तेरी शान है बिगड़ी बना देना,

तुम स्वामी हो मैं दासी हूँ,

संबंध बढ़ाने आई हूँ,

घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ ॥


समझी थी मैं जिन्हें अपना,

सब हो गए आज बेगाने है,

सारी दुनिया को तज के प्रभु,

तुझे अपना बनाने आई हूँ,

घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ ॥


घनश्याम तुम्हारे मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,

वाणी में तनिक मिठास नहीं,

पर विनय सुनाने आई हूँ ॥

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बीच भंवर में फसी मेरी नैया (Beech Bhawar Mein Fasi Meri Naiya)

बीच भंवर में फसी मेरी नैया,
तुम्ही हो खिवैया माँ,

वीरविंशतिकाख्यं श्री हनुमत्स्तोत्रम्

लाङ्गूलमृष्टवियदम्बुधिमध्यमार्ग , मुत्प्लुत्ययान्तममरेन्द्रमुदो निदानम्।

ऐसे मेरे मन में विराजिये - भजन (Aaise Mere Maan Main Virajiye)

ऐसे मेरे मन में विराजिये
ऐसे मेरे मन में विराजिये

होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा(Holi Khel Rahe Banke Bihari Aaj Rang Baras Raha)

होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा
और झूम रही दुनिया सारी,

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