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हे महाशक्ति हे माँ अम्बे, तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है (Hey Mahashakti Hey Maa Ambey Tera Mandir Bada Hi Pyara Hai)

हे महाशक्ति हे माँ अम्बे, तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है (Hey Mahashakti Hey Maa Ambey Tera Mandir Bada Hi Pyara Hai)

हे महाशक्ति हे माँ अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥


सारी दुनिया एक बगिया है,

हम सब बगिया के फुल यहाँ,

इस बगिया की माँ है माली,

हर फुल ही माँ को प्यारा है,

हे महाशक्ति हे मां अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥


कोई कष्ट नहीं उसको आता,

जो माँ का सुमिरण करता है,

साया बनकर उस प्राणी को,

माँ देती सदा सहारा है,

हे महाशक्ति हे मां अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥


अपने भक्तो से दाती कभी,

पलभर भी दूर नहीं होती,

दौड़ी दौड़ी आती है माँ,

जिसने भी मन से पुकारा है,

हे महाशक्ति हे मां अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥


अपने जीवन की डोरी को,

अब सौंप दो ‘शर्मा’ दाती को,

ना जाने कितनो को माँ ने,

भवसागर पार उतारा है,

हे महाशक्ति हे मां अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥


हे महाशक्ति हे माँ अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥

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एकादशी पर गन्ने के मंडप की कथा

देव उठनी एकादशी पर सनातन धर्म में तुलसी विवाह का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु का विवाह गन्ने के मंडप में होता है। इसकी भी अलग ही मान्यता है और इससे संबंधित कथाएं भी हैं।

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी के दिन से सभी मंगल कार्य आरंभ करने की परंपरा है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद योग निद्रा से जागते हैं और उनके जागते ही चातुर्मास भी समाप्त होता है।

देव उठनी एकादशी कितने दीपक जलाएं

कार्तिक मास की एकादशी को देव उठनी एकादशी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं और इस दिन से ही शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य की भी शुरुआत होती है।

देव उठनी एकादशी व्रत कथा

देव उठनी ग्यारस पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागकर एक बार फिर संसार के संचालन में लीन हो जाते हैं। इस दिन चातुर्मास भी खत्म होता है और सभी मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।

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