अक्षय तृतीया हिंदू धर्म की उन चुनिंदा तिथियों में से एक है जिसे बिना पंचांग देखे भी शुभ माना जाता है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ने वाली यह तिथि दान, व्रत, जप, यज्ञ, स्नान और नई शुरुआत के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। वर्ष 2026 में अक्षय तृतीया 19 अप्रैल रविवार के दिन आएगी। दिल्ली के अनुसार अक्षय तृतीया की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 10 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों में वर्णित है कि इस पावन तिथि पर किए गए शुभ कर्म कभी नष्ट नहीं होते और जीवन में समृद्धि तथा सौभाग्य की वृद्धि करते हैं।
अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाई जाती है। वर्ष 2026 में यह तिथि 19 अप्रैल को पड़ेगी। यदि तृतीया तिथि दिन के पूर्वार्ध में विद्यमान हो तो उसी दिन पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष तृतीया तिथि और दिन का पूर्वार्ध अनुकूल मिलने से यह तिथि अत्यंत शुभ मानी गई है। दिल्ली के अनुसार पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। स्वर्ण खरीद, वाहन, गृह प्रवेश, भूमि पूजन और व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए भी यह समय शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन स्नान के बाद स्वच्छ पीत वस्त्र धारण करने चाहिए। घर के मंदिर में भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराकर पीले फूल, तुलसी, चंदन, हल्दी और पीले नैवेद्य का भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा और विष्णु आरती का पाठ करने से मन और वातावरण दोनों पवित्र होते हैं। व्रत रखने वाले पूरे दिन सात्त्विक आहार का पालन करते हैं। पीला प्रसाद, मीठा हलवा, केले या पीले चावल ग्रहण कर व्रत समाप्त किया जाता है। इस तिथि पर दान का विशेष महत्व है। अन्न, जल, वस्त्र, स्वर्ण या गौ दान करने से अक्षय फल प्राप्त होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान सूर्य ने पांडवों को अक्षय पात्र प्रदान किया था, जिससे द्रौपदी के भोजन करने तक वह कभी खाली नहीं होता था। इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म भी हुआ था, इसलिए इस तिथि को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। महाभारत में वर्णित है कि इसी दिन वेदव्यास और गणेश ने महाभारत रचना आरंभ की थी। कई स्थानों पर मान्यता है कि त्रेता युग का प्रारंभ भी इसी दिन हुआ था, जिससे यह तिथि अनादि और अक्षय फल देने वाली कही गई है।