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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और कथा

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और कथा

Ashadha Gupt Navratri Day 2: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए सम्पूर्ण विधि और पौराणिक कथा

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। यह दिन भक्तों के लिए आत्मनियंत्रण, वैराग्य और तपस्या की ऊर्जा को आत्मसात करने का अवसर होता है। मां ब्रह्मचारिणी का नाम ही उनके तपस्विनी स्वरूप को दर्शाता है। ‘ब्रह्म’ का अर्थ है तप या ज्ञान और ‘चारिणी’ का अर्थ है आचरण करने वाली। अर्थात, वे जो ब्रह्मचर्य का पालन करती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, माता सती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने हेतु कठोर तपस्या की थी। उन्होंने सहस्त्रों वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर और बाद में निर्जल रहकर तप किया। उनकी यह कठिन तपस्या ब्रह्मचारिणी रूप में प्रसिद्ध हुई। अंततः भगवान शंकर ने उनकी भक्ति और तप से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। यह कथा दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प, तप और सच्ची भक्ति से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन सम्पूर्ण पूजा विधि 

  • भक्त सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करे।
  • देवी का आह्वान करें और उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं। यह अभिषेक पूजा का अत्यंत पवित्र भाग होता है।
  • देवी को अक्षत (चावल), सिंदूर, लाल पुष्प, फल, और मिठाई अर्पित करें।
  • मां को लाल रंग अति प्रिय होता है, इसलिए पूजा में लाल फूलों का प्रयोग शुभ माना जाता है।
  • देवी ब्रह्मचारिणी को चीनी का भोग विशेष रूप से प्रिय होता है। इसे अर्पित करने से मन और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
  • ‘ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः’, ‘या देवी सर्वभू‍तेषु शक्ति‍रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥’ इन मंत्रों का जाप करते हुए मां का ध्यान करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • देवी ब्रह्मचारिणी की आरती करें और उनसे ज्ञान, बुद्धि, धैर्य और साधना में सफलता की प्रार्थना करें।

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