Ganesh Sthapana Vidhi at Home: गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन घर-घर गणपति बप्पा का आगमन होता है। लोग उत्साह और श्रद्धा के साथ गणेशजी की मूर्ति स्थापित कर दस दिनों तक उनकी विधिवत पूजा करते हैं। पुराणों में गणेश स्थापना की सरल विधि और पूजन मंत्र बताए गए हैं। यदि इन्हें सही विधि से किया जाए तो घर में सुख-समृद्धि आती है और विघ्न दूर होते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेशजी का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के मध्याह्न काल में हुआ था। इसलिए स्थापना भी इसी समय करनी चाहिए। मध्याह्न का अर्थ है दोपहर का समय। मान्यता है कि इस मुहूर्त में गणपति की स्थापना करने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है और कार्य सिद्ध होते हैं।
गणेश जी की मूर्ति घर में लाने से पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और गंगाजल का छिड़काव जरूर करें। माना जाता है कि गंगाजल से शुद्धि करने पर घर में देवी-देवताओं का वास होता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद बप्पा को घर लाएं। उनका स्वागत पुष्पवर्षा और ढोल-नगाड़ों के साथ करें। मूर्ति की आंखों पर लाल कपड़ा बांधकर घर के अंदर प्रवेश कराएं और जयकारे लगाते हुए मंडप तक ले जाएं।
गणेश चतुर्थी पर व्रत रखने और पूजन का संकल्प अवश्य करना चाहिए। इसके लिए हाथ में चावल और पुष्प लेकर यह मंत्र बोलें—
‘मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायकपूजनमहं करिष्ये’
संकल्प करने के बाद ही गणेश स्थापना आरंभ करें।
जहां मूर्ति स्थापित करनी हो वहां पहले एक मंडप तैयार करें। स्वास्तिक बनाएं और उस पर चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद लाल या पीले वस्त्र पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें। ध्यान रखें कि प्रतिमा उत्तर दिशा की ओर रखी जाए, क्योंकि गणेश जी का वास उत्तर दिशा में माना गया है। मूर्ति के साथ कलश भी स्थापित करें और उस पर नारियल व आम्रपत्र सजाएं।
मूर्ति स्थापना के बाद गणपति को पंचामृत से स्नान कराएं और नए वस्त्र पहनाएं। फिर धूप, दीप, अक्षत और सिंदूर अर्पित करें। गणेश जी के 108 नामों का जप करना श्रेष्ठ माना गया है। पूजा के अंत में यह मंत्र बोलें—
“विघ्नानि नाशायान्तु सर्वाणि सुरनायक।
कार्ये सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि।।’’
इसके बाद घी का दीपक जलाकर परिवार सहित गणपति की आरती करें और 21 मोदक का भोग लगाएं। माना जाता है कि मोदक गणेश जी का प्रिय भोग है।
गणेश जी को लाल रंग अत्यंत प्रिय है। इसलिए इस दिन भक्तों को लाल वस्त्र धारण करने चाहिए और लाल फूलों से बप्पा का श्रृंगार करना चाहिए। मूर्ति पर सिंदूर और दूर्वा चढ़ाना न भूलें।
भविष्य पुराण के अनुसार, गणेश चतुर्थी को शिवा चतुर्थी भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन भगवान शिव का स्मरण भी करना चाहिए। वहीं, सुहागिन महिलाओं के लिए यह दिन खास महत्व रखता है। यदि वे इस दिन सास-ससुर या माता को गुड़, घी, शक्कर, मालपुआ आदि भेंट करें तो सौभाग्य में वृद्धि होती है।