गुप्त नवरात्रि हिंदू धर्म की सबसे रहस्यमयी और शक्तिशाली साधनाओं में से एक मानी जाती है। यह पर्व वर्ष में माघ और आषाढ़ मास में मनाया जाता है। इसमें देवी दुर्गा के दस महाविद्याओं के रूपों की पूजा की जाती है, जो तांत्रिक साधना की दृष्टि से अत्यंत फलदायी मानी जाती हैं। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 में 26 जून से 4 जुलाई तक मनाई जाएगी।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब राजा दक्ष ने यज्ञ में अपनी पुत्री सती और भगवान शिव का अपमान किया, तो सती ने स्वयं को यज्ञ में आहुति दे दी। यह देखकर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और शव को लेकर विक्षिप्त अवस्था में दिशाओं में घूमने लगे। उस समय सती ने दस रूपों को धारण कर शिव को रोका, जिससे वे दस दिशाओं में प्रकट हुईं।
इस घटना से दस महाविद्याओं की उत्पत्ति मानी जाती है और प्रत्येक देवी का एक विशिष्ट दिशा से संबंध स्थापित होता है।
गुप्त नवरात्रि में जब साधक इन दिशाओं के अनुरूप महाविद्याओं की पूजा करता है, तो उसे विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। यह साधना न केवल आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है, बल्कि सांसारिक समस्याओं, बाधाओं और दुर्भाग्य से भी मुक्ति दिलाती है।
ऐसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन,
शिव है शक्ति, शिव है भक्ति, शिव है मुक्ति धाम।
शिव है ब्रह्मा, शिव है विष्णु, शिव है मेरा राम॥
ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय
ऐसो रास रच्यो वृन्दावन,
है रही पायल की झंकार ॥