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हनुमान जयंती 2026 में कब है ?

हनुमान जयंती 2026 में कब है ?

Hanuman Jayanti 2026: अप्रैल में मनाई जाएगी हनुमान जयंती: जानिए पूजा का सही समय और क्यों मनाया जाता है यह पर्व

हनुमान जयंती भगवान हनुमान के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह उत्सव चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इस दिन भक्त बजरंगबली को प्रसन्न करने हेतु विशेष पूजा, पाठ और अनुष्ठान करते हैं। भगवान हनुमान को शक्ति, भक्ति, साहस और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक माना जाता है। 2026 में यह पर्व 2 अप्रैल को मनाया जाएगा जब पूर्णिमा तिथि सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। इस दिन मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं और भक्त हनुमान चालीसा, सुंदरकांड तथा जप आराधना के माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह दिन भय, रोग और संकटों से मुक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

हनुमान जयंती 2026 की तिथि और शुभ मुहूर्त

2026 में चैत्र पूर्णिमा 1 अप्रैल की सुबह 07 बजकर 06 मिनट से प्रारंभ होकर 2 अप्रैल की सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। इसी आधार पर हनुमान जयंती 2 अप्रैल 2026 को मनाई जाएगी। ब्रह्म मुहूर्त और सूर्योदय के बाद का समय पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन सुबह 5 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक विशेष पूजा करने की परंपरा है। राहुकाल में पूजा नहीं करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह समय शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं होता। पूर्णिमा तिथि के दौरान की गई पूजा अत्यंत फलदायी मानी गई है।

हनुमान जयंती की पूजा विधि और आवश्यक सामग्रियां

हनुमान जयंती पर भक्त सुबह जल्दी स्नान कर लाल या केसरिया वस्त्र धारण करते हैं। पूजा स्थान पर भगवान हनुमान की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर सिंदूर, चमेली का तेल, गुड, लड्डू, लाल फूल और चना अर्पित किया जाता है। भगवान को विशेष रूप से सिंदूर लगाना और चमेली के तेल का लेप चढ़ाना शुभ माना गया है। इसके बाद हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और राम नाम का जप किया जाता है। शुद्ध घी का दीप प्रज्वलित कर आरती करने से मानसिक और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है। पूजा के उपरांत भक्तों में प्रसाद वितरण किया जाता है जो पुण्यदायी माना गया है।

व्रत विधि और पालन करने योग्य नियम

हनुमान जयंती पर व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। व्रत रखने वाले भक्त फलाहार, दूध या जल ग्रहण कर दिनभर ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। दिनभर मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखने की सलाह दी जाती है। हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ तथा सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से फलदायी माना गया है। संध्या के समय आरती और प्रसाद ग्रहण कर व्रत का समापन किया जाता है। माना जाता है कि इस व्रत से भय, रोग और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है तथा जीवन में आत्मबल और साहस बढ़ता है।

हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व

हनुमान जयंती भगवान हनुमान के जन्म की स्मृति में मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वे भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं और वायु देव के द्वारा प्रदत्त दिव्य ऊर्जा से उत्पन्न हुए। उनका जीवन निस्वार्थ सेवा, अद्भुत शक्ति, विनम्रता और भक्ति का संदेश देता है। रामायण में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और भगवान राम की विजय में उनका योगदान अद्वितीय है। हनुमान को संकट मोचन कहा जाता है क्योंकि वे हर विपत्ति को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। हनुमान जयंती का पर्व हमें साहस, समर्पण और सदाचार का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है।

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