Logo

1 से 7 जुलाई 2025 व्रत/त्योहार

1 से 7 जुलाई 2025 व्रत/त्योहार

July 2025 First Week Vrat Tyohar: 1 से 7 जुलाई पहले हफ्ते में पड़ेंगे ये त्योहार, देखें लिस्ट

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से जुलाई साल का 7वां महीना होता है। अप्रैल का पहला हफ्ता विभिन्न त्योहारों और उत्सवों से भरा हुआ है। इस हफ्ते में कई महत्वपूर्ण त्योहार पड़ेंगे। जिनमें विवस्वत सप्तमी, ​देवशयनी एकादशी , मासिक दुर्गाष्टमी और अन्य शामिल हैं। ये त्योहार न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, बल्कि हमार जीवन को अध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों से भी भर सकते हैं। आइए इस आर्टिकल में जुलाई के पहले हफ्ते में पड़ने वाले इन महत्वपूर्ण त्योहारों के बारे में जानते हैं और उनके धार्मिक महत्व को समझते हैं।

1 से 7 जुलाई 2025 के व्रत-त्यौहार

  • 1 जुलाई 2025- कोई व्रत या त्यौहार नहीं है। 
  • 2 जुलाई 2025- विवस्वत सप्तमी
  • 3 जुलाई 2025- मासिक दुर्गाष्टमी
  • 4 जुलाई 2025- कोई व्रत या त्यौहार नहीं है। 
  • 5 जुलाई 2025- कोई व्रत या त्यौहार नहीं है। 
  • 6 जुलाई 2025- गौरी व्रत प्रारम्भ, देवशयनी एकादशी
  • 7 जुलाई 2025- वासुदेव द्वादशी, चातुर्मास प्रारंभ

1 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहार 

1 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • मंगलवार का व्रत - आज आप मंगलवार का व्रत रख सकते हैं, जो हनुमान जी को समर्पित है। 

2 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहार 

2 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • विवस्वत सप्तमी- विवस्वत सप्तमी 2 जुलाई, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पड़ती है। इस दिन सूर्य देव के वरुण रूप की पूजा की जाती है और उनके पुत्र वैवस्वत मनु को यह तिथि समर्पित होती है। विवस्वत सप्तमी का व्रत रखने से सूर्य देव सभी प्रकार के दुख दूर करते हैं और मान-सम्मान का आशीर्वाद देते हैं। इस व्रत के माध्यम से भक्त सूर्य देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही अपने जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
  • बुधवार का व्रत- आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है। 

3 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहार 

3 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • मासिक दुर्गाष्टमी- हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान दुर्गाष्टमी का उपवास किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और उनके लिए पूरे दिन का व्रत करते हैं। मुख्य दुर्गाष्टमी जिसे महाष्टमी कहते हैं, आश्विन माह में नौ दिन के शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान पड़ती है। दुर्गाष्टमी को दुर्गा अष्टमी के रूप में भी लिखा जाता है और मासिक दुर्गाष्टमी को मास दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
  • गुरूवार का व्रत- आज आप गुरूवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। 

4 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहार 

4 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

शुक्रवार का व्रत- आज आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है। 

5 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहार 

5 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

शनिवार का व्रत- आज आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो शनि देव को समर्पित है। 

6 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहार 

6 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

गौरी व्रत प्रारंभ- गौरी व्रत देवी पार्वती को समर्पित एक महत्वपूर्ण उपवास है, जो मुख्यतः गुजरात में पालन किया जाता है। अविवाहित कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। गौरी व्रत आषाढ़ माह में पांच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत शुक्ल पक्ष की एकादशी से होती है और गुरु पूर्णिमा के दिन इसका समापन होता है। इस व्रत को मोरकट व्रत के नाम से भी जाना जाता है और इसका पालन करने से देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

देवशयनी एकादशी- आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं, जो भगवान विष्णु के शयनकाल की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन से चार महीने के लिए भगवान विष्णु का शयनकाल प्रारंभ हो जाता है और प्रबोधिनी एकादशी के दिन उनका शयनकाल समाप्त होता है। देवशयनी एकादशी को पद्मा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी से चतुर्मास का आरंभ होता है, जो चार महीने का आत्मसंयम काल है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के भीतर करना आवश्यक है और हरि वासर के दौरान पारण नहीं करना चाहिए। व्रत करने वालों को प्रातःकाल पारण करना सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन यदि संभव न हो तो मध्याह्न के बाद पारण कर सकते हैं। कुछ विशेष परिस्थितियों में एकादशी व्रत दो दिनों तक हो सकता है, जिसमें स्मार्त-परिवारजनों और सन्यासियों के लिए अलग-अलग नियम होते हैं।

रविवार का व्रत- आज आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो सूर्य देव को समर्पित है। 

7 जुलाई 2025 के व्रत और त्यो

7 जुलाई 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • वासुदेव द्वादशी/ वामन द्वादशी- वासुदेव द्वादशी या वामन द्वादशी भगवान कृष्ण को समर्पित एक पवित्र दिन है, जो आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है। यह चतुर मास की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें भक्त आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और अश्विन के चार महीनों तक सख्त सात्विक जीवन शैली का पालन करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के कृष्ण रूप और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और ब्राह्मण पुरोहितों को चावल, फल और कपड़े दान किए जाते हैं। वासुदेव द्वादशी के अनुष्ठानों में सुबह पवित्र स्नान, पूरे दिन उपवास, भगवान विष्णु की पूजा और विष्णु सहस्रनाम का जाप शामिल है। भक्त विष्णु मंदिर जाते हैं और सारी रात भजन और भक्ति गीत सुनते और गाते हैं। इस दिन दान करना शुभ माना जाता है और आत्मा की मुक्ति के लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • सोमवार का व्रत- आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है। 

........................................................................................................
तू जब जब हमको बुलाये हम दौडे आये - भजन (Tu Jab Jab Humko Bulaye Hum Dode Aaye)

तेरे भवन के अजब नज़ारे,
तेरे गूँज रहे जयकारे,

तू मेरा राखा सबनी थाई - गुरुवाणी शब्द कीर्तन (Tu Mera Rakha Sabni Thai)

तू मेरा राखा, सबनी थाई
तां भौ के हा काढा जी,

तू प्यार का सागर है: भजन (Tu Pyar Ka Sagar Hai)

तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम ।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang