Karwa Chauth Puja: करवा चौथ पर इस सरल विधि से करें पूजा, जानें पूजन विधि और सामग्री लिस्ट
सनातन धर्म में कार्तिक माह का विशेष महत्व है, जहां सभी त्योहारों को उत्साह से मनाया जाता है। इनमें करवा चौथ व्रत प्रमुख है, जो सुहागिन महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह व्रत रखने से पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। इस वर्ष करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर रात 10:54 बजे शुरू होकर 10 अक्टूबर शाम 7:38 बजे समाप्त होगी। चंद्रोदय शाम 7:42 बजे होगा। पूजा मुहूर्त शाम 6:06 से 7:19 बजे तक है। व्रत समय सुबह 6:21 से रात 8:34 बजे तक। लेकिन पूजा में विशेष सामग्री और विधि का पालन न करने से व्रत अधूरा माना जाता है। आइए, जानें सरल पूजन विधि और आवश्यक सामग्री की पूरी लिस्ट, ताकि आपका व्रत फलदायी हो।
करवा चौथ पूजा सामग्री लिस्ट
पूजा की तैयारी से पहले सभी सामग्री इकट्ठा कर लें। ये न केवल पूजा को पूर्ण बनाती हैं, बल्कि सौभाग्य की कामना को मजबूत करती हैं:
- पूजन के लिए: मिट्टी का टोंटीदार करवा (ढक्कन सहित), दीपक, रुई, अगरबत्ती, कपूर, पुष्प, लकड़ी का आसन, छलनी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी।
- अर्घ्य और भोग: कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, गंगाजल, चंदन, चावल (अक्षत), शक्कर का बूरा, गेहूं, हलुआ, आठ पूरियों की अठावरी।
- श्रृंगार सामग्री (सुहाग): सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, कुमकुम, हल्दी, शहद, मिठाई।
- अन्य: धूप, दक्षिणा के लिए पैसे। इन सामग्रियों से माता पार्वती का श्रृंगार करें। दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करें।
करवा चौथ की सरल पूजन विधि
पूजा सरल लेकिन विधि पूर्वक करें, ताकि भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा की कृपा प्राप्त हो। स्टेप बाय स्टेप फॉलो करें:
- व्रत संकल्प: सूर्योदय से पूर्व उठें, स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र और श्रृंगार करें। निर्जला व्रत का संकल्प लें – "मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।" जलपान न करें।
- प्रातः मंत्र जाप: सुबह मंत्रों का जाप करें। श्रीगणेश के लिए "ॐ गणेशाय नमः", शिव के लिए "ॐ नमः शिवाय", पार्वती जी के लिए "ॐ शिवायै नमः"। ये मंत्र मन की शांति और सौभाग्य देते हैं।
- स्थापना: शाम को सफेद मिट्टी या लकड़ी के आसन पर शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति न हो तो सुपारी पर नाड़ा बांधकर भावना करें। मां पार्वती की गोद में गणेश विराजमान करें।
- पूजन और कथा: माता पार्वती को सुहाग सामग्री से श्रृंगार करें। शिव-पार्वती की आरती उतारें। कोरे करवे में पानी भर पूजा करें। लोटा, वस्त्र और करवा दक्षिणा अर्पित करें। करवा चौथ कथा सुनें या सुनाएं – इसमें करवा माता की कहानी है, जो व्रत का फल बढ़ाती है।
- चंद्र पूजा और अर्घ्य: चंद्रोदय पर छलनी से चांद देखें। चंद्रमा को अर्घ्य दें, मंत्र बोलें: "करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥" फिर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलें।
पूजा का महत्व
करवा चौथ का व्रत केवल निर्जला उपवास नहीं, बल्कि प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। मिट्टी के करवे से चंद्र अर्घ्य देने से पति की लंबी उम्र की कामना पूरी होती है। माता पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इस विधि से पूजा करने पर घर में धन-समृद्धि का वास होता है। ज्योतिषियों का मानना है कि शुक्रवार को पड़ने से यह व्रत और फलदायी होगा। सुहागिनें लाल या पीले वस्त्र पहनें, सकारात्मक रहें। यदि पहली बार व्रत रख रही हैं, तो सास का मार्गदर्शन लें।