करवा चौथ का पावन पर्व हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जहां वे अपने पतियों की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा माता की पूजा-अर्चना के साथ चंद्र दर्शन का इंतजार व्रत की शोभा बढ़ाता है। लेकिन पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए कुछ नियम और सावधानियां जानना जरूरी है, ताकि व्रत फलदायी हो और कोई गलती न हो।
इस वर्ष करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से होगी और 10 अक्टूबर को शाम 7:38 बजे समाप्त होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:16 बजे से शाम 6:29 बजे तक है। चंद्रोदय शाम 7:42 बजे होगा, जिसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोला जाता है। आइए, जानें पहली बार व्रत रखने वालों के लिए जरूरी टिप्स और उन गलतियों से कैसे बचें, जो व्रत का फल कम कर सकती हैं।
पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं को सबसे पहले सरगी का महत्व समझना चाहिए। सूर्योदय से पहले, सुबह के समय सास या बुजुर्ग महिलाएं सरगी खिलाती हैं। इसमें फल, मिठाई, सूखे मेवे, दूध या पानी जैसी हल्की चीजें शामिल होती हैं। बिना सरगी खाए व्रत शुरू करना बड़ी भूल है, क्योंकि यह व्रत को अधूरा बना देता है। सरगी से दिनभर की ऊर्जा मिलती है, जो निर्जला व्रत में सहायक होती है। अगर सरगी भूल गईं, तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलेगा। इसलिए, रात से ही तैयारी करें और सुबह जल्दी उठकर सरगी लें।
व्रत के दिन सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए लाल, पीला या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें। ये रंग वैवाहिक सुख और सौभाग्य के प्रतीक हैं। सफेद या काले रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है, जो वैवाहिक जीवन में कड़वाहट ला सकता है। पूजा की बात करें तो करवा माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। व्रत कथा का पाठ करें, जिसमें करवा माता की कहानी सुनाएं। पति की लंबी उम्र के लिए करवा में अर्घ्य दें और चंद्रमा को भी जल चढ़ाएं। पहली बार करने वालों को सास या बड़ी महिलाओं से पूजा विधि सीख लेनी चाहिए। इससे भक्ति और विश्वास बढ़ेगा।
निर्जला व्रत होने से पानी पीना सबसे बड़ी भूल है। प्यास लगे तो खुद को व्यस्त रखें, ध्यान करें या ठंडे पानी से मुंह-हाथ धो लें, लेकिन एक बूंद भी न पिएं। वरना व्रत खंडित हो जाएगा। नुकीली वस्तुओं जैसे कैंची, सुई या चाकू का उपयोग न करें – ये व्रत के फल में कमी लाती हैं। सफेद चीजों का दान, जैसे चावल, दूध या दही, न दें। इसके बजाय केसर, सिंदूर, लाल चुनरी या सुगंधित सामग्री दान करें, जो शुभ फल देती हैं। मन को शांत रखें – किसी की बुराई न करें, झगड़े से बचें। सकारात्मक विचार रखें, ताकि पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता बनी रहे। अगर गलती से कोई काम हो जाए, तो शाम को चंद्र दर्शन के बाद क्षमा मांग लें।
यह व्रत न केवल पति की लंबी उम्र के लिए है, बल्कि परिवार में सुख-शांति, धन-समृद्धि लाने वाला भी है। जागरण, भक्ति और धैर्य से पूजा करने पर घर में लक्ष्मी का वास होता है। पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए यह प्रेम और समर्पण का अनमोल अनुभव है। नियमों का पालन करने से वैवाहिक जीवन सुखमय बनेगा। ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिन की पूजा से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इसलिए, उत्साह के साथ तैयारी करें, लेकिन सावधानी बरतें।