हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माना गया है। वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं, और हर एकादशी का संबंध भगवान विष्णु की आराधना से होता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से एकादशी व्रत का पालन करता है, उस पर श्री हरि की असीम कृपा बनी रहती है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे पापांकुशा एकादशी कहा जाता है, इस वर्ष 3 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु के साथ उनकी प्रिय तुलसी माता की पूजा और उनसे जुड़े कुछ उपाय करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं इस पावन तिथि पर तुलसी के उपाय, नियम और सावधानियां।
पंचांग के अनुसार, पापांकुशा एकादशी की तिथि 2 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर 3 अक्टूबर 2025 को शाम 6 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार व्रत 3 अक्टूबर को ही रखा जाएगा। यह एकादशी विजयादशमी के अगले दिन पड़ती है और पापों का नाश करने वाली मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता की पूजा करने से न केवल मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है बल्कि जीवन से नकारात्मकता का भी अंत होता है।
शास्त्रों में तुलसी को विष्णु प्रिय कहा गया है। बिना तुलसी के भगवान विष्णु का पूजन अधूरा माना जाता है। इसलिए इस दिन तुलसी माता की पूजा अत्यंत फलदायी होती है। सूर्यास्त के बाद तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और धन, सुख एवं समृद्धि बढ़ती है।
दीपक जलाने के बाद तुलसी जी की 7 या 11 बार परिक्रमा करें और सच्चे मन से “महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते” मंत्र का जप करें। यह मंत्र जीवन से कष्ट, रोग और मानसिक तनाव को दूर करता है।
पापांकुशा एकादशी के दिन तुलसी माता की स्तुति के लिए निम्न मंत्रों का जाप करना शुभ माना गया है –
तुलसी गायत्री मंत्र:
“ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।”
तुलसी स्तुति मंत्र:
“देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः, नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।”
इन मंत्रों के जाप से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और भक्त के जीवन में सौभाग्य एवं शांति का वास होता है।
पापांकुशा एकादशी पर तुलसी से जुड़े कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है, अन्यथा पूजा का फल अधूरा रह जाता है –