हिंदू पंचांग के अनुसार, परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम को समर्पित है, जिन्हें एक महान योद्धा और धर्म रक्षक के रूप में जाना जाता है।
इस साल परशुराम द्वादशी गुरुवार, 8 मई को मनाई जाएगी। इस बार द्वादशी तिथि की शुरुआत 7 मई को रात्रि 11:59 बजे से होगी और 9 मई को सुबह 2:26 बजे समाप्त होगी । पूजा और व्रत का श्रेष्ठ समय द्वादशी तिथि के दौरान सुबह 8:59 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक है।
भगवान परशुराम को विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी को अधर्मी और अत्याचारी शासकों से मुक्त कर धर्म की स्थापना करना था। वे भगवान विष्णु के एकमात्र ऐसे अवतार माने जाते हैं, जो आज भी जीवित हैं और महेंद्र पर्वत पर तपस्या कर रहे हैं।
इस दिन व्रत और पूजा करने का विशेष महत्व होता है, विशेषकर उनके लिए जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। साथ ही, ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान परशुराम की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
परशुराम द्वादशी विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। यहां के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और धार्मिक प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।
कृष्ण कन्हैया बंसी बजैया,
नंदलाला घनश्याम रे,
क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी,
अब तक के सारे अपराध
कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा,
हरी शरण आने के बाद ।
ये जिंदगी मिली है,
दिन चार के लिए,