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सावन का पहला मंगला गौरी व्रत

सावन का पहला मंगला गौरी व्रत

First Mangala Gauri Vrat: कब है सावन का पहला मंगला गौरी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

हिंदू धर्म में सावन मास का अत्यधिक महत्व है, विशेषकर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए। इसी क्रम में सावन के मंगलवार को रखा जाने वाला मंगला गौरी व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए अत्यंत पुण्यदायी और शुभफलदायी माना जाता है। 2025 में पहला मंगला गौरी व्रत आज, 15 जुलाई को रखा जा रहा है। इस दिन स्त्रियां विशेष रूप से देवी गौरी की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और समृद्धि की कामना करती हैं।

मंगला गौरी व्रत शुभ मुहूर्त 

  • सुबह 04:14 बजे से 05:17 बजे तक
  • अभिजित पुजारी: दोपहर 11:37 से 12:31 तक
  • विजय उत्सव: दोपहर 02:20 से 03:14 तक
  • गोधूलि महोत्सव: शाम 06:50 से 07:11 तक

इन मुहूर्तों में से विशेषकर गोधूलि मुहूर्त को माता गौरी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस समय में की गई पूजा शीघ्र फलदायी होती है।

मंगला गौरी माता को 16 प्रकार के भोग करें अर्पित 

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
  • पूजन स्थल को शुद्ध करें, गंगाजल का छिड़काव करके पवित्र वातावरण बनाएं।
  • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • देवी का अभिषेक करें और सोलह श्रृंगार की वस्तुएं जैसे कंघी, चूड़ी, सिंदूर, बिंदी आदि अर्पित करें।
  • आटे का दीपक बनाकर उसमें 16 बत्तियां और देसी घी भरकर जलाएं।
  • माता को 16 प्रकार की वस्तुएं जैसे फल, मिठाई, पत्ते, फूल आदि अर्पित करें।
  • विधिपूर्वक मंगला गौरी व्रत की कथा का पाठ करें या सुनें।
  • देवी के मंत्रों का उच्चारण करें और आरती करें।
  • पूजा समाप्ति पर देवी से पूजन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें।
  • व्रती स्त्रियां इस दिन निर्जल या फलाहारी व्रत रखती हैं और दूसरे दिन पारण करती हैं।

मंगला गौरी मंत्र जाप

  • ॐ गौरी शंकराय नमः
  • सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
  • ॐ उमामहेश्वराय नम: ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।।

इन मंत्रों का जाप कम से कम 11, 21 या 108 बार करने की परंपरा है। इससे व्रती को मानसिक शांति, ध्यान की एकाग्रता और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

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माघ गुप्त नवरात्रि की पूजन विधि

माघ और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। 2025 की पहली गुप्त नवरात्रि माघ महीने में 30 जनवरी से श्रवण नक्षत्र और जयद योग में प्रारंभ होगी।

बृहस्पतिवार की पूजा विधि

हिंदू धर्म में बृहस्पतिवार का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन बृहस्पति देव, जो कि ज्ञान, शिक्षा, और बौद्धिकता के देवता हैं, को समर्पित होता है।

माघ गुप्त नवरात्रि में क्या दान करें

सनातन हिंदू धर्म के वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्तमान में माघ का पवित्र महीना चल रहा है। इस दौरान पड़ने वाली नवरात्रि को माघ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

शुक्रवार की पूजा विधि

हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन विशेष रूप से देवी लक्ष्मी से जुड़ा होता है। इसे लक्ष्मी व्रत या शुक्रवार व्रत के रूप में मनाया जाता है।

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