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5 November 2025 Panchang (5 नवंबर 2025 का पंचांग)

5 November 2025 Panchang (5 नवंबर 2025 का पंचांग)

5 November 2025 Ka Panchang: आज 5 नवंबर 2025 का शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह

5 November 2025 Ka Panchang: आज 5 नवंबर 2025 से कार्तिक मास का 30वां दिन है। बुधवार का दिन है। इस दिन सूर्य देव तुला राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे। आपको बता दें, आज के दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है। इस दिन राहुकाल 12:04 पी एम से 01:27 पी एम तक रहेगा। आज देव दीवाली, गुरु नानक जयन्ती, पुष्कर स्नान, कार्तिक पूर्णिमा व्रत और कार्तिक पूर्णिमा है। साथ ही वार के हिसाब से आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो कि भगवान गणेश को समर्पित होता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है। 

5 नवंबर 2025 को क्या है? (5 November 2025 Ko Kya Hai?)

पंचांग के अनुसार, 5 नवंबर 2025 को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है, जो कि 06:48 पी एम तक जारी रहेगी। इसके बाद मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी।

5 नवंबर 2025 का पंचांग (5 November 2025 Ka Panchang)

  • तिथि - 06:48 पी एम तक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि। इसके बाद मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। 
  • नक्षत्र - अश्विनी (09:40 ए एम तक) भरणी (06:34 ए एम, नवम्बर 06 तक) कृत्तिका
  • दिन/वार - बुधवार
  • योग - सिद्धि (11:28 ए एम तक) व्यतीपात
  • करण - विष्टि (08:44 ए एम तक) बव (06:48 पी एम तक) बालव (04:51 ए एम, नवम्बर 06 तक) कौलव

कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 10:36 पी एम, नवम्बर 04

कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त - 06:48 पी एम, नवम्बर 05

सूर्य-चंद्र गोचर (Surya-Chandra Gochar)

  • सूर्य - सूर्य देव तुला राशि में रहेंगे।
  • चंद्र - चंद्रमा 12:34 पी एम तक मीन राशि में रहेंगे। इसके बाद मेष राशि में गोचर करेंगे।

सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त (Surya aur Chandrama Ka Muhurat)

  • सूर्योदय - 06:36 ए एम
  • सूर्यास्त - 05:33 पी एम
  • चन्द्रोदय - 05:11 पी एम
  • चन्द्रास्त - चन्द्रास्त नहीं

5 नवंबर 2025 का शुभ मुहूर्त और योग (5 November 2025 Ka Shubh Muhurat aur Yog)

  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:52 ए एम से 05:44 ए एम
  • अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं
  • विजय मुहूर्त - 01:54 पी एम से 02:38 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त - 05:33 पी एम से 05:59 पी एम
  • संध्या मुहूर्त - 05:33 पी एम से 06:51 पी एम
  • अमृत काल - 02:23 ए एम, नवम्बर 06 से 03:47 ए एम, नवम्बर 06
  • सर्वार्थ सिद्धि योग - 06:34 ए एम, नवम्बर 06 से 06:37 ए एम, नवम्बर 06

5 नवंबर 2025 का अशुभ मुहूर्त (5 November 2025 ka Ashubh Muhurat)

  • राहु काल - 12:04 पी एम से 01:27 पी एम
  • गुलिक काल - 10:42 ए एम से 12:04 पी एम
  • यमगंड - 07:58 ए एम से 09:20 ए एम
  • वर्ज्य - 06:01 पी एम से 07:25 पी एम
  • आडल योग - 09:40 ए एम से 06:34 ए एम, नवम्बर 06
  • विडाल योग - 06:34 ए एम, नवम्बर 06 से 06:37 ए एम, नवम्बर 06
  • गण्ड मूल - 06:36 ए एम से 09:40 ए एम
  • भद्रा - 06:36 ए एम से 08:44 ए एम
  • दिशाशूल - उत्तर, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।

5 नवंबर 2025 पर्व/त्योहार/व्रत (5 November 2025 Parv / Tyohar / Vrat)

  • बुधवार का व्रत - आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है।
  • देव दीपावली - देव दीपावली वाराणसी में मनाया जाने वाला एक प्रमुख उत्सव है, जो भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय का प्रतीक है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भक्त गंगा में पवित्र स्नान करते हैं और शाम को मिट्टी के दीप जलाते हैं। गंगा के घाटों और मंदिरों को लाखों दीयों से सजाया जाता है, जो एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
  • गुरूनानक जयंती - गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे, जिनका जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनका जन्मदिवस हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस दिन को गुरु नानक जयंती या गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है। साथ ही भारत सहित दुनिया भर में सिख समुदाय के लोग इसे बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं।
  • कार्तिक पूर्णिमा व्रत - कार्तिक पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने में पड़ने वाली एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो पूर्ण चंद्रमा के दिन मनाई जाती है। इस महीने को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है और इसे वैष्णव समुदाय में दामोदर माह के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं, व्रत रखते हैं और दान-पुण्य करते हैं। साथ ही चंद्रमा को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व है।
  • कार्तिक पूर्णिमा - कार्तिक पूर्णिमा का महत्व भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर नामक राक्षस के वध से जुड़ा है, जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन को देव दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि देवताओं ने इस दिन अपनी जीत का जश्न मनाया था। वाराणसी में इसका भव्य आयोजन होता है, जिससे देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मिलता है।

5 नवंबर 2025 आज के उपाय (5 November 2025 Ke Upay)

  • बुधवार के उपाय - बुधवार के दिन गणेश मंदिर जाकर गणेशजी को गुड़ का भोग लगाने और 21 दूर्वा चढ़ाने से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर में धन और अन्न की कमी नहीं होती। इस दिन गाय को हरी घास खिलाने से आर्थिक उन्नति और समस्याओं से मुक्ति मिलती है। बुध दोष से मुक्ति के लिए 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र का 108 बार जाप और श्री गणेश को सिंदूर अर्पित करना भी लाभकारी है। इसके अलावा, पन्ना धारण करना, 'ॐ गं गणपतये नम:' या 'श्री गणेशाय नम:' मंत्र का जाप करना और जरूरतमंद को हरी मूंग या हरा कपड़ा दान करना भी बुध ग्रह की कमजोरी को दूर करने में मदद करता है।
  • देव दिवाली के दिन करें ये उपाय - देव दिवाली पर भगवान शंकर की स्तुति करने और हनुमान जी की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं। देव दिवाली पर राहु-केतु, मंगल, गुरु, बुध और शनि ग्रहों से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि शिवलिंग पर गंगाजल और दूध चढ़ाना, लाल कपड़े में गुड़ बांधकर दान करना, पीपल के पेड़ के पास दीया जलाना, गाय को हरा चारा और गुड़ खिलाना, और काले तिल का दान करना। इसके अलावा घर में वास्तु दोष दूर करने और सुख-समृद्धि पाने के लिए घर के हर कोने में गंगाजल का छिड़काव करना लाभकारी होता है।
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय - कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु मत्स्य रूप में जल में विराजमान रहते हैं, इसलिए इस दिन जल में दीप प्रवाहित करने की परंपरा है। इस दिन गंगा स्नान करना, गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना और गर्म वस्त्र दान करना भी पुण्य माना जाता है। भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा और व्रत रखना भी इस दिन का विशेष महत्व है। इसके अलावा, वैकुंठ चतुर्दशी के पूजन का भी विशेष महत्व है, जब भगवान विष्णु ने भगवान शिव का पूजन किया था।

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