Saraswati Avahan 2025: शारदीय नवरात्रि में कब है सरस्वती पूजा, जान लें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, भोग और महत्व
शारदीय नवरात्र का हर दिन देवी मां के अलग-अलग स्वरूप को समर्पित होता है। इसी क्रम में सप्तमी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन मां सरस्वती का आह्वान किया जाता है, जिसे सरस्वती आवाहन कहते हैं। “आवाहन” का अर्थ है देवी को अपने जीवन और घर में आमंत्रित करना। इस वर्ष सरस्वती आवाहन सोमवार, 29 सितंबर 2025 को आश्विन शुक्ल पक्ष की महा सप्तमी के दिन मनाया जाएगा।
सरस्वती आवाहन की कथा
मान्यता है कि जब सृष्टि की रचना हुई, तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के कार्यों में सहयोग करते हुए मां सरस्वती ने संसार को ज्ञान और वाणी का उपहार दिया। इसी कारण उन्हें विद्यादायिनी, शारदा, वाग्देवी और नील सरस्वती नामों से पूजा जाता है।
नवरात्रि के दौरान मां का आवाहन करने का अर्थ है अज्ञान का नाश करना और विवेक, शिक्षा, कला और संगीत का आशीर्वाद पाना।
कैसे करें सरस्वती आवाहन?
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त में मां सरस्वती का आवाहन करें।
- देवी के चरण धोकर शुद्ध जल अर्पित करें।
- सफेद वस्त्र, सफेद फूल और सफेद मिठाई मां को अर्पित करें।
- दीपक जलाकर आरती करें और भजनों-मंत्रों का गान करें।
- पूजा के बाद प्रसाद सभी भक्तों में बांटा जाता है।
सरस्वती पूजा के शुभ मुहूर्त (29 सितंबर 2025)
- सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 07:09 से रात 12:52 तक
- अमृत काल – रात 08:24 से 09:53 तक
- अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:13 से 12:57 तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर 02:24 से 03:07 तक
- गोधूलि मुहूर्त – शाम 05:55 से 06:21 तक
मां सरस्वती के मंत्र
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः।।
- ॐ शारदा माता ईश्वरी, मैं नित सुमरि तोय। हाथ जोड़ अरजी करूं, विद्या वर दे मोय।।
- ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी, पापात्म क्षयम् कारी। वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा।।
भोग और विशेष उपाय
- मां सरस्वती को पीले और सफेद पुष्प अत्यंत प्रिय हैं।
- पूजा में पीले फल और पीली मिठाई अवश्य अर्पित करें।
- केसर या पीले चंदन का तिलक मां को चढ़ाकर स्वयं माथे पर लगाएं।
- विद्यार्थियों और कलाकारों को अपने अध्ययन या साधना स्थल पर मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित कर रोज उनका ध्यान करना चाहिए।
सरस्वती आवाहन का महत्व
- विद्या और विवेक की प्राप्ति – भक्त मां से ज्ञान, शिक्षा और वाणी की शुद्धता की कामना करते हैं।
- विद्यार्थियों व कलाकारों के लिए शुभ – पूजा से बुद्धि, कौशल और रचनात्मकता में वृद्धि होती है।
- आध्यात्मिक महत्व – यह केवल शिक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि अज्ञान और अंधकार से मुक्ति का प्रतीक है।
- नवरात्र का विशेष अनुष्ठान – शक्ति की आराधना के साथ ही ज्ञान साधना की शुरुआत मां सरस्वती के आवाहन से होती है।
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