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शारदीय नवरात्रि 2025 छठा दिन: मां कात्यायनी की पूजा विधि-मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि 2025 छठा दिन: मां कात्यायनी की पूजा विधि-मुहूर्त

Shardiya Navratri 2025 Day 6: शारदीय नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा, जानिए विधि, भोग, मंत्र, आरती और कथा

Shardiya Navratri 2025 Day 6: शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व इन दिनों पूरे देशभर में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। आज नवरात्रि का छठा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां कात्यायनी की आराधना करने से भक्तों के जीवन से रोग, शोक और भय का नाश होता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्रि के छठे दिन कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा कैसे करें? साथ ही, जानिए भोग, मंत्र, आरती और कथा के बारे में...

मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्यायनी को सुनहरे रंग की देवी माना जाता है। उनके चार भुजाएं हैं। दाहिने हाथ में वे अभय और वर मुद्रा धारण करती हैं, जबकि बाएं हाथों में तलवार और कमल का फूल होता है। मां सिंह पर सवार रहती हैं और उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्त कराया था।

मां कात्यायनी की पूजा विधि

  1. नवरात्रि के छठे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  3. मां कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  4. घी का दीपक जलाएं और मां को रोली, अक्षत, धूप और पीले फूल अर्पित करें।
  5. इसके बाद मां को भोग लगाकर मंत्रों का जाप करें।
  6. अंत में आरती उतारकर परिवार के बीच प्रसाद बांटें।

मां कात्यायनी का भोग

मां कात्यायनी को शहद और शहद से बनी खीर का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है। यह भोग मां को प्रिय है और माना जाता है कि इससे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

शुभ रंग

मां कात्यायनी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। नवरात्रि के छठे दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना और पीले फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।

मां कात्यायनी की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या कर मां भगवती को प्रसन्न किया था। मां ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे उनकी पुत्री रूप में जन्म लेंगी। इसके बाद मां ने महर्षि के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और वे कात्यायनी कहलाईं। आगे चलकर मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध कर धर्म की रक्षा की और देवताओं को उसके आतंक से मुक्त कराया। इसी कारण उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।

मां कात्यायनी का मंत्र  

कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।

नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यायनी।

जय जग माता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहावर दाती नाम पुकारा॥

कई नाम है कई धाम है।

यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी।

कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भगत है कहते॥

कत्यानी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की॥

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करिए।

ध्यान कात्यानी का धरिये॥

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

पार्वती जी की आरती 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥

जय पार्वती माता

अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता।

जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥

जय पार्वती माता

सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा।

देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥

जय पार्वती माता

सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता।

हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥

जय पार्वती माता

शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता।

सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥

जय पार्वती माता

सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता।

नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥

जय पार्वती माता

देवन अरज करत हम चित को लाता।

गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥

जय पार्वती माता

श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता।

सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥

जय पार्वती माता

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