नवरात्रि का पावन पर्व देवी शक्ति की उपासना का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान श्रद्धालु देवी मंदिरों में जाकर विशेष दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। भारत में अनेक शक्ति पीठ और देवी मंदिर हैं, जहां नवरात्रि के दौरान अद्भुत रौनक देखने को मिलती है। इनमें कुछ मंदिर अपनी ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक महत्ता के कारण विशेष स्थान रखते हैं। आइए जानते हैं भारत के 5 प्रमुख दुर्गा मंदिर, जहां नवरात्रि में दर्शन करने का अलग ही महत्व है।
त्रिकुटा पहाड़ियों की गोद में स्थित वैष्णो देवी मंदिर को भारत के सबसे लोकप्रिय शक्ति पीठों में गिना जाता है। मां दुर्गा के वैष्णो देवी रूप की आराधना यहां की जाती है। भक्तों को मां के दरबार तक पहुंचने के लिए करीब 12-14 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है, जिसे पवित्र तीर्थयात्रा माना जाता है। नवरात्रि में यहां भव्य आयोजन और विशेष पूजा-पाठ होते हैं। लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला जी मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है। यहां की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि माता की पवित्र ज्योतियां बिना किसी ईंधन के लगातार जलती रहती हैं। यह दिव्य अग्नि मां की शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। पौराणिक मान्यता है कि इसी स्थान पर देवी सती की जीभ गिरी थी। नवरात्रि के दौरान यहां भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और माता से अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं।
कोलकाता का कालीघाट मंदिर देवी काली के उग्र स्वरूप को समर्पित है। इसे भी 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। यहां देवी सती के पैर की उंगलियां गिरी थीं। नवरात्रि और दुर्गा पूजा के समय इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। विशाल पंडाल, रंगीन सजावट और भक्तों की भीड़ इसे विशेष बना देती है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
गोविंद सागर झील के किनारे स्थित नैना देवी मंदिर शक्ति पीठों में विशेष स्थान रखता है। मान्यता है कि यहां सती की आंखें गिरी थीं। नवरात्रि के अवसर पर लाखों भक्त मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु पैदल यात्रा, पालकी या फिर रोपवे का उपयोग कर सकते हैं। मां नैना देवी के दरबार की भक्ति से वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
नीलाचल पर्वत पर स्थित कामाख्या मंदिर तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर देवी के कामाख्या रूप को समर्पित है। यहां हर साल अम्बुबाची मेले और नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं। यह मंदिर असम की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान भी है।
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