शारदीय नवरात्रि के पावन नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना और व्रत-उपवास का विशेष महत्व होता है। इन दिनों भक्त घर और मंदिर में कलश स्थापना कर देवी का आह्वान करते हैं। फिर नवरात्रि का अंतिम दिन यानि नवमी को कलश विसर्जन किया जाता है। इस दिन भक्तजन मां दुर्गा की प्रतिमाओं और कलश का विसर्जन कर नवरात्रि की पूर्णाहुति करते हैं। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष यह 1 अक्टूबर, बुधवार को किया जाएगा।
शारदीय नवरात्रि की महानवमी तिथि 30 सितंबर 2025 को शाम 06:06 बजे से शुरू होगी और 1 अक्टूबर 2025 को शाम 07:01 बजे समाप्त होगी। इसलिए उदयकाल के अनुसार, कलश विसर्जन 1 अक्टूबर, बुधवार को किया जाएगा।
लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कलश विसर्जन सुबह करना चाहिए क्योंकि इसे अधिक शुभ माना जाता है।
कलश विसर्जन से पहले देवी दुर्गा की स्तुति करें, इसके बाद घर में स्थापित कलश की पूजा करें। फिर हवन करें जिसमें देवी के नौ रूपों को आह्वान किया जाता है और अंत में आरती और क्षमा प्रार्थना करें। इसके अलावा कलश का जल अपने घर के हर कोने में छिड़कें क्योंकि इससे नकारात्मकता खत्म हो जाती है।
धर्मशास्त्र के अनुसार, कलश में स्थापित नारियल, आम्रपत्र और जल को पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है। साथ ही, कई स्थानों पर नवमी या दशमी के दिन कन्या पूजन करके उन्हें भोजन और उपहार दिए जाते हैं। यह विधि भी विसर्जन से पहले या बाद की जाती है।
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर देवी दुर्गा को भक्त आमंत्रित करते हैं और नौवें दिन कलश विसर्जन कर देवी दुर्गा को विदा किया जाता है। कलश विसर्जन के समय यह माना जाता है कि देवी दुर्गा अपने धाम को लौट रही हैं और भक्तों को आशीर्वाद देकर विदा हो रही हैं। धार्मिक मान्यता है कि देवी दुर्गा परिवार पर असीम कृपा करती हैं तथा कलश का जल घर को शुद्ध करता है।