Shardiya Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व होता है। बता दें कि साल में कुल 4 नवरात्रि आते हैं, लेकिन शारदीय नवरात्रि को वर्षभर के सभी नवरात्रियों में सबसे खास माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है, जिसका समापन 1 अक्टूबर को होगा। इस दौरान मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी। वहीं, नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और कलश स्थापना के साथ जौ बोने की परंपरा निभाई जाती है। जौ बोना हिंदू धर्म में शुभ माना गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर नवरात्रि में जौ क्यों बोए जाते हैं? तो चलिए जानते हैं इसका महत्व और विधि।
पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 22 सितंबर से हो रहा है। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन कलश स्थापना के लिए विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन हस्त नक्षत्र, शुक्ल योग, ब्रह्म योग और सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जो इस दिन और मंगलकारी बना रहा है। वहीं, इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से 8 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त 11:49 से 12:38 तक रहेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में जौ बोना शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सृष्टि की पहली फसल जौ थी। जौ का शीघ्र अंकुरित होना परिवार में उन्नति, सुख और मंगल का संकेत देता है। नवरात्रि के दौरान अंकुरित जौ देवी दुर्गा की कृपा और यज्ञ की सफलता का प्रतीक होते हैं। इसके साथ ही यह आर्थिक मजबूती और अच्छे स्वास्थ्य का भी संकेत देता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ गमले में जौ बोना भी परंपरा है। इसे खेतड़ी भी कहा जाता है। नवरात्रि की प्रतिपदा पर बोए गए ये जौ पूरे नौ दिनों तक उगाए जाते हैं और शुभता का प्रतीक माने जाते हैं।
नवरात्रि में उगाए गए जौ, जिन्हें जवारे कहा जाता है, पूजा के बाद शुभ माने जाते हैं। परंपरा है कि कुछ जौ निकालकर तिजोरी, अलमारी या पर्स में रखे जाते हैं। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और धन-संपत्ति की वृद्धि होती है। बचा हुआ जौ को या तो नदी-तालाब में प्रवाहित कर देना चाहिए या फिर घर के आंगन/बगीचे की मिट्टी में दबा देना चाहिए। इसे देवी दुर्गा की कृपा का प्रतीक माना जाता है।