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जनेऊ संस्कार शुभ मुहूर्त सितंबर 2025

जनेऊ संस्कार शुभ मुहूर्त सितंबर 2025

September 2025 Upanayana Muhurat: सितंबर में करना चाहते हैं उपनयन संस्कार? यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र

 हिंदू धर्म में उपनयन संस्कार एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। उपनयन शब्द का अर्थ है "अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना"। इस अनुष्ठान से बालक को धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है। मान्यताओं के अनुसार उपनयन संस्कार के बाद ही बालक धार्मिक कार्यों में भाग ले सकता है। उपनयन संस्कार के दौरान बालक को एक पवित्र धागा धारण कराया जाता है जिसे जनेऊ कहा जाता है। जनेऊ को पुरुष अपने बाएं कंधे के ऊपर से दाईं भुजा के नीचे तक पहनते हैं। इसमें तीन सूत्र होते हैं, जो त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश से जुड़े होते हैं। ऐसे में जनेऊ की शुद्धता का काफी ध्यान रखा जाता है। इस लेख में हम उपनयन संस्कार के महत्व, इसके पीछे के अर्थ और सितंबर में इस अनुष्ठान के लिए शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

सितंबर 2025 में जनेऊ संस्कार के मुहूर्त क्यों नहीं है? 

उपनयन संस्कार, जिसे आमतौर पर जनेऊ संस्कार कहा जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख 16 संस्कारों में से एक है। यह बालक को "विद्यार्थी" बनने और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान इस पवित्र संस्कार को करना वर्जित होता है। चातुर्मास 2025 की अवधि: 6 जुलाई से 1 नवंबर तक है। इस समय भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। देवताओं के विश्राम काल में उपनयन, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ संस्कार नहीं किए जाते। साथ ही, इस अवधि में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति भी स्थिर या प्रतिकूल मानी जाती है, जिससे शुभ कार्यों के प्रभाव कम हो सकते हैं। अतः यदि आप अपने पुत्र का उपनयन संस्कार करवाने की सोच रहे हैं, तो इसके लिए देवउठनी एकादशी (1 नवंबर 2025) के बाद का शुभ मुहूर्त चुनना अधिक उचित और फलदायक होगा। शास्त्रों के अनुसार, उपयुक्त समय पर किया गया जनेऊ संस्कार जीवन में धर्म, शिक्षा और मर्यादा की स्थापना करता है।

जनेऊ संस्कार का महत्व

जनेऊ हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। इसके तीन धागे त्रिमूर्ति के साथ-साथ देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतिनिधित्व करते हैं। जनेऊ की विशेषता यह है कि यह जीवन के विभिन्न आयामों को जोड़ता है। यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है जो जीवन के तीन मुख्य गुणों को दर्शाता है। साथ ही यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है जो जीवन के तीन मुख्य उद्देश्यों को दर्शाता है। जनेऊ की प्रत्येक जीवा में तीन तार होते हैं, जो कुल नौ तारों का निर्माण करते हैं।

जनेऊ की पांच गाठों का महत्व 

यह जीवन के नौ मुख्य तत्वों को दर्शाता है जो हमारे जीवन को समृद्ध बनाते हैं। जनेऊ में पांच गांठें रखी जाती हैं जो जीवन के पांच मुख्य उद्देश्यों को दर्शाती हैं। ये गांठें ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो जीवन के पांच मुख्य आयामों को दर्शाती हैं। जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है, जो जीवन के 96 मुख्य तत्वों को दर्शाती है। यह हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और उन्हें संतुलित करने के लिए प्रेरित करती है।

जनेऊ संस्कार क्यों किया जाता है?

  • उपनयन संस्कार लड़के को धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह संस्कार लड़के को ज्ञान और शिक्षा की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • उपनयन संस्कार लड़के को जिम्मेदारी और कर्तव्य की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह संस्कार लड़के को पवित्र और शुद्ध जीवन की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • उपनयन संस्कार लड़के को समाज में सम्मान और स्थान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।

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