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8 से 14 सितंबर 2025 व्रत-त्योहार

8 से 14 सितंबर 2025 व्रत-त्योहार

Week Vrat Tyohar 08 To 14 September: सितंबर के दूसरे हफ्ते में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें लिस्ट

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से सितंबर साल का 9वां महीना होता है।सितंबर का दूसरा हफ्ता विभिन्न व्रत और त्योहारों के मामले में सामान्या रहने वाला है। इस हफ्ते में जिनमें जीवित्पुत्रिका व्रत, कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी जैसे व्रत और त्योहार है। 8 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है। ऐसे में मुख्य रूप से इस हफ्ते में अलग-अलग तिथियों के श्राद्ध किए जाएंगे। आइए इस आर्टिकल में सितंबर के दूसरे हफ्ते में पड़ने वाले इन महत्वपूर्ण त्योहारों के बारे में जानते हैं। साथ ही उनके धार्मिक महत्व को समझते हैं।

8 से 14 सितंबर 2025 के व्रत-त्यौहार

  • 8 सितंबर 2025- पितृपक्ष प्रारम्भ, प्रतिपदा श्राद्ध, आश्विन प्रारम्भ
  • 9 सितंबर 2025- द्वितीया श्राद्ध
  • 10 सितंबर 2025- तृतीया श्राद्ध, चतुर्थी श्राद्ध, विघ्नराज संकष्टी
  • 11 सितंबर 2025- पञ्चमी श्राद्ध
  • 12 सितंबर 2025- षष्ठी श्राद्ध, मासिक कार्तिगा
  • 13 सितंबर 2025- सप्तमी श्राद्ध
  • 14 सितंबर 2025- अष्टमी श्राद्ध, महालक्ष्मी व्रत पूर्ण, जीवित्पुत्रिका व्रत, अष्टमी रोहिणी, रोहिणी व्रत, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी

8 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

8 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • सोमवार का व्रत- आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है। 
  • पितृपक्ष प्रारंभ - पितृपक्ष का समय अपने पूर्वजों को याद करने और उनकी पूजा करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दौरान पितर स्वर्ग लोक से धरती लोक में आते हैं और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष की शुरुआत पिठौरी अमावस्या को कुश ग्रहण से होती है, जिसके बाद प्रोष्ठपदी पूर्णिमा तिथि को पहला श्राद्ध किया जाता है। पितृपक्ष के पहले दिन अगस्त मुनि का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है, जो पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है।
  • आश्विन मास प्रारंभ - हिंदू धर्म में आश्विन मास का विशेष महत्व है, जिसमें पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किया जाता है ताकि पितरों को मुक्ति और ऊर्जा मिल सके। पितृ पक्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में आता है और मान्यता है कि इस दौरान पूर्वज किसी भी रूप में घर पर आ सकते हैं। इसलिए इस पखवाड़े में प्रत्येक प्राणी का सम्मान करना और उन्हें भोजन देना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृ दोष महत्वपूर्ण है, जिसे दूर करने के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस दौरान कोई नया काम शुरू नहीं किया जाता और यह पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से अमावस्या तक चलता है।
  • प्रतिपदा श्राद्ध - प्रतिपदा श्राद्ध उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि पर हुई हो या नाना-नानी के श्राद्ध के लिए उपयुक्त माना जाता है। यदि मातृ पक्ष में श्राद्ध करने वाला कोई नहीं है या पुण्यतिथि ज्ञात नहीं है, तो भी इस तिथि पर श्राद्ध करने से उनकी आत्मा प्रसन्न होती है। इसे पड़वा श्राद्ध भी कहा जाता है और पितृ पक्ष में किये जाने वाले पार्वण श्राद्ध में कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। श्राद्ध के अनुष्ठान अपराह्न काल तक पूरे कर लेने चाहिए और अंत में तर्पण किया जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

9 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

9 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • मंगलवार का व्रत- आज आप मंगलवार का व्रत रख सकते हैं, जो हनुमान जी को समर्पित है। 
  • द्वितीया श्राद्ध - द्वितीया श्राद्ध उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु द्वितीया तिथि पर हुई हो और इसे दूज श्राद्ध भी कहा जाता है। शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों की द्वितीया तिथि पर श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष में किये जाने वाले पार्वण श्राद्ध के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। श्राद्ध के अनुष्ठान अपराह्न काल तक पूरे कर लेने चाहिए और अंत में तर्पण किया जाता है, जिससे पितरों को शांति और तृप्ति मिलती है।

10 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

10 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • बुधवार का व्रत- आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है। 
  • तृतीया श्राद्ध - तृतीया श्राद्ध उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई हो और इसे तीज श्राद्ध भी कहा जाता है। शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों की तृतीया तिथि पर श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष में पार्वण श्राद्ध के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। श्राद्ध के अनुष्ठान अपराह्न काल तक पूरे कर लेने चाहिए और अंत में तर्पण किया जाता है, जिससे पितरों को शांति और तृप्ति मिलती है।
  • चतुर्थी श्राद्ध - चतुर्थी श्राद्ध उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु चतुर्थी तिथि पर हुई हो और इसे चौथ श्राद्ध भी कहा जाता है। शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों की चतुर्थी तिथि पर श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष में पार्वण श्राद्ध के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। श्राद्ध के अनुष्ठान अपराह्न काल तक पूरे कर लेने चाहिए और अंत में तर्पण किया जाता है, जिससे पितरों को शांति और तृप्ति मिलती है। 
  • विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी - भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भगवान गणेश के सातवें स्वरूप विघ्नराज का पूजन और व्रत किया जाता है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में आने वाले विघ्नों का नाश होता है और कार्यों में सफलता मिलती है। भगवान विघ्नराज का अवतार ममतासुर नामक दैत्य के संहार के लिए हुआ था, जिसे पराजित कर उन्होंने धर्म के मार्ग पर चलने का मार्ग दिखाया। इस व्रत को करने से भगवान गणेश की कृपा से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। द्वापरयुग में भगवान कृष्ण ने भी अपने अपहृत पौत्र अनिरुद्ध की प्राप्ति के लिए यह व्रत किया था और बाणासुर का संहार कर अनिरुद्ध को मुक्त कराया था। 

11 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

11 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • गुरूवार का व्रत- आज आप गुरूवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। 
  • पंचमी श्राद्ध - पंचमी श्राद्ध उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु पञ्चमी तिथि पर हुई हो और इसे कुंवारा पंचमी भी कहा जाता है। इस दिन उन अविवाहित मृतकों के लिए श्राद्ध करना विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है जिनकी मृत्यु विवाह से पहले हुई हो। शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों की पञ्चमी तिथि पर श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष में पार्वण श्राद्ध के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। श्राद्ध के अनुष्ठान अपराह्न काल तक पूरे कर लेने चाहिए और अंत में तर्पण किया जाता है, जिससे पितरों को शांति और तृप्ति मिलती है।

12 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

12 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • शुक्रवार का व्रत- आज आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है। 
  • षष्ठी श्राद्ध - षष्ठी श्राद्ध उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु षष्ठी तिथि पर हुई हो और इसे छठ श्राद्ध भी कहा जाता है। शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों की षष्ठी तिथि पर श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष में पार्वण श्राद्ध के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। श्राद्ध के अनुष्ठान अपराह्न काल तक पूरे कर लेने चाहिए और अंत में तर्पण किया जाता है, जिससे पितरों को शांति और तृप्ति मिलती है।
  • मासिक कार्तिगाई - कार्तिगाई दीपम तमिल हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान शिव की अनंत ज्योति को समर्पित है। इस दिन, घरों और गलियों में तेल के दीपक जलाए जाते हैं, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। कार्तिगाई दीपम का नाम कार्तिकाई या कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया है, जिस दिन यह नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन यह त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन स्वयं को प्रकाश की अनंत ज्योति में बदल लिया था, जिससे भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी श्रेष्ठता साबित की थी। तिरुवन्नामलई की पहाड़ी पर कार्तिगाई के दिन एक विशाल दीप जलाया जाता है, जिसे महादीपम कहते हैं, जो कई किलोमीटर तक दिखाई देता है। इस अवसर पर, हिंदू श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं।

13 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

13 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • शनिवार का व्रत- आज आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो शनि देव को समर्पित है। 
  • सप्तमी श्राद्ध - सप्तमी श्राद्ध उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु सप्तमी तिथि पर हुई हो। शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों की सप्तमी तिथि पर श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष में पार्वण श्राद्ध के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। श्राद्ध के अनुष्ठान अपराह्न काल तक पूरे कर लेने चाहिए और अंत में तर्पण किया जाता है, जिससे पितरों को शांति और तृप्ति मिलती है।

14 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

14 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

  • रविवार का व्रत- आज आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो सूर्य देव को समर्पित है। 
  • अष्टमी श्राद्ध - अष्टमी श्राद्ध उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि पर हुई हो। शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों की अष्टमी तिथि पर श्राद्ध किया जा सकता है। पितृ पक्ष में पार्वण श्राद्ध के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। श्राद्ध के अनुष्ठान अपराह्न काल तक पूरे कर लेने चाहिए और अंत में तर्पण किया जाता है, जिससे पितरों को शांति और तृप्ति मिलती है।
  • जीवित्पुत्रिका व्रत - जीवित्पुत्रिका व्रत माताओं द्वारा अपनी संतान की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण उपवास है, जिसमें वे पूरे दिन और रात निर्जला उपवास रखती हैं। यह व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है और मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। नेपाल में इसे जितिया उपवास के रूप में जाना जाता है, जहां भी माताएं अपनी संतान की सलामती और खुशहाली के लिए इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती हैं।
  • कालाष्टमी - कालाष्टमी भगवान कालभैरव को समर्पित है और हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। कालभैरव जयंती मार्गशीर्ष या कार्तिक महीने में पड़ती है, जब भगवान शिव भैरव रूप में प्रकट हुए थे। इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और सुख-शांति मिलती है।
  • मासिक कृष्ण जन्माष्टमी - मासिक कृष्ण जन्माष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा और आराधना की जाती है, जो अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है और उनके जन्म की खुशी में व्रत, पूजा और कीर्तन किए जाते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान और दान-पुण्य भी किए जाते हैं।

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