पटना के गांधी मैदान के पास स्थित सुभाष पार्क का दुर्गापूजा पंडाल एक अनोखी धार्मिक आस्था की बानगी पेश करता है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यहां बीते 40 वर्षों से मां दुर्गा के रूप में मां दक्षिणेश्वर काली की पूजा होती चली आ रही है। मंदिर के स्वरूप में बने इस पंडाल में हर साल लाखों लोग माता का आशीर्वाद प्राप्त करने और पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। सबसे खास बात यह है कि यहां काली की पूजा भी वैष्णव विधि से होती है, जो इस पंडाल को प्रांत के बाकी सभी पूजा स्थलों और पंडालों से बिल्कुल भिन्न बना देती है।
पटना के गांधी मैदान के दक्षिण-पूर्वी कोने पर सुभाष पार्क स्थित है। यहां हर साल शारदीय नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा आयोजित होती है। यहां पर बनने वाला पंडाल मंदिरनुमा प्रतिकृति में तैयार होता है, जिसकी चौड़ाई 25 फीट और ऊंचाई लगभग 40 से 45 फीट होती है। पटना में जहां विभिन्न स्थानों पर थीम आधारित पंडालों की होड़ लगी रहती है। वहीं सुभाष पार्क में धार्मिक पूजा और आस्था पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
सुभाष पार्क का यह पंडाल पटना का एकमात्र स्थान है, जहां दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा के स्थान पर मां काली की पूजा की जाती है। 1982 से यहां दुर्गापूजा के समय दक्षिणेश्वर काली की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। शहर के कई अन्य स्थानों जैसे पीएमसीएच, दानापुर और पटनासिटी में भी मां काली की पूजा होती है, लेकिन सुभाष पार्क का यह पंडाल इसलिए भी खास है क्योंकि यहां प्रत्येक वर्ष मां दक्षिणेश्वर काली की प्रतिमा की स्थापना और पूजा की जाती है।
सबसे अजीब बात ये है कि यहां मां दक्षिणेश्वरी काली की एक ही तरह की प्रतिमा पिछले 40 वर्षों से स्थापित जा रही है। काली की इस प्रतिमा में मां के चार हाथों में चार विशेषताएं हैं, जिसमें एक हाथ में राक्षस का मुंड नजर आता है। जान लें कि इस वर्ष यहां 13 फीट की मां काली की प्रतिमा स्थापित की जा रही है, जिसका निर्माण पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले से आए कलाकार श्री पाल जी द्वारा किया जा रहा है।
पटना के सुभाष पार्क में मां काली की पूजा विशेष रूप से वैष्णव विधि से की जाती है, जो इसे अन्य पूजा पंडालों से अलग बनाता है। बीते 20 सालों तक बंगाल के श्याम बाजार और कुम्हरटोली पंडित यहां पूजा कराने के लिए पधारते रहे हैं। पूजा के दौरान यहां भतुआ की बलि देने की भी बड़ी रोचक और अद्भुत प्रथा है। ये अब तक चल रही है। बता दें कि यह बलि मां के आशीर्वाद को प्राप्त करने और मन्नतें पूरी होने के लिए दी जाती है।
स्थानीय लोगों की मानें तो सुभाष पार्क में इस पूजा आयोजन की शुरुआत सालिमपुर अहरा मोहल्ले में हुई थी, लेकिन बाद में इसे आईएमए बिहार के पास और फिर मौजूदा जगह पर स्थानांतरित किया गया। इस पूजा का आयोजन श्रीश्री मां काली पूजा समिति द्वारा किया जाता है। इस साल पूजा पंडाल का आयोजन लगभग दो से ढाई लाख रुपये के खर्च से किया जा रहा है।
यहां पर मां काली के आशीर्वादी रूप की पूजा होती है, जो श्मशान काली से अलग हैं। भक्तजन यहां काली मंत्र "काली-काली, महाकाली, काल के परमेश्वरी, सर्वानंद करे देवी नारायणी नमोस्तुते" का जाप करते हैं। यह मंत्र श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी करने में सहायक माना जाता है और हर साल बड़ी संख्या में लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर मां को प्रसाद और अन्य भेंट चढ़ाने के लिए यहां आते हैं।
मां काली की पूजा के दौरान यहां अष्टमी के दिन विशेष रूप से खिचड़ी का प्रसाद वितरित किया जाता है। पूजा पंडाल में हर साल लगभग पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं, जो माता के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। बता दें कि पटना जिले के सुभाष पार्क में मां दक्षिणेश्वर काली की पूजा केवल धार्मिक नहीं बल्कि यह पटना की सांस्कृतिक विरासत का भी हिस्सा है। पिछले 40 वर्षों से यहां जिस तरह से माता काली की प्रतिमा और पूजा का आयोजन किया जा रहा है, वह ना केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि शहर की धार्मिक परंपराओं की गहराई को भी दर्शाता है।
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