हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिन बड़े पवित्र माने गए हैं, जिसमें नौ दिनों को बहुत पवित्र और विशेष माना जाता है। नवरात्रि एक साल में चार बार पड़ती है। जिसमें दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती है, और दो गुप्त नवरात्रि। इसके साथ ही पहली नवरात्रि को चैत्र महीने में मनाया जाता है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिन, आदिशक्ति दुर्गा मां का पूजा और आराधना की जाती है। बता दें कि नवरात्रि के नौ दिनो में व्रत और मां का पूजन करने से भक्तों के सभी परेशानियां दूर होती हैं। चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग- अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। तो आइए जानें कि नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के कौन-सी स्वरूप की पूजा की जाती है।
हिंदू पंचां ग के मुताबिक चैत्र नवरात्र की शुरुआत चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से होती है। इस साल चैत्र के महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च 2025 को शाम 4 बजकर 27 मिनट पर हो रही है। इसके साथ ही इस तिथि का समापन अगले दिन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होने वाला है। सनातन धर्म में उदया तिथि को ही माना जाता है। ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च यानि रविवार को होगी और 7 अप्रैल को नवरात्रि का समापन होगा।
नवरात्रि के पहले दिन पूजा से ठीक पहले घट स्थापना होती है। इस घट स्थापना के दौरान मां शैलपुत्री की पूजा और उपासना की जाती है, क्योंकि देवी शैलपुत्री को देवी दुर्गा का पहला स्वरूप माना जाता है। शैल का अर्थ होता है कि पर्वतराज। हालांकि देवी शैलपुत्री ने पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लिया था, इसलिए उनको शैलपुत्री कहते है। हिंदू धर्म के मान्यताओं के मुताबिक जो भी नवरात्रि में सच्ची उपासना और भक्ति के साथ देवी शैलपुत्री का पूजा करता है उसके सभी दुख दूर होते हैं।
सनातन धर्म में सूर्य देव हमारे आराध्य और साक्षात देवता के रूप में पूजे जाते हैं। नवग्रह में शामिल, ऊर्जा और प्रकाश के देवता सूर्य की आराधना का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों में वर्णित है।
नारियल या श्रीफल हिंदू धर्म के सभी धार्मिक आयोजनों, अनुष्ठानों और पूजा पाठ की सामग्री का सबसे अहम हिस्सा है। कोई भी शुभ कार्य हो सबसे पहले नारियल चढ़ाने से ही उसका आरंभ किया जाता है।
पीपल का वृक्ष कितना पावन पवित्र और महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गीता में श्री कृष्ण ने स्वयं की तुलना वृक्षों में पीपल के साथ वृक्ष से की है।
भारत के पौराणिक, धार्मिक और प्राचीनतम तीर्थ स्थलों में बद्रीनाथ धाम मंदिर का स्थान बहुत ही खास है। इसे हिंदू धर्म के चार धामों में से सबसे बड़ा धाम माना गया है। इस चमत्कारी और दिव्य धाम में हर साल लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से दर्शन को आते हैं।