हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है, खासकर उन साधकों के लिए जो तंत्र, मंत्र और साधना के मार्ग पर चलते हैं। वर्ष में दो बार आने वाली गुप्त नवरात्रि, आषाढ़ और माघ माह में मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय मानी जाती है। इन नौ दिनों में गुप्त रूप से शक्ति की आराधना की जाती है, जिससे साधक को अलौकिक शक्तियों, आत्मबल और जीवन की विभिन्न बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 26 जून से 04 जुलाई 2025 तक मनाई जाएगी।
‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरायै नमः’ मंत्र का करें जाप
यह मंत्र त्रिपुरा सुंदरी देवी का बीज मंत्र है। त्रिपुरायै देवी को सौंदर्य, ऐश्वर्य, प्रेम और विलक्षण बुद्धि प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। इस मंत्र का जप करने से मानसिक शांति, आकर्षण शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
‘ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः’ मंत्र का करें जाप
यह मंत्र भुवनेश्वरी देवी को समर्पित है, जो संपूर्ण ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। यह मंत्र साधक को आत्मिक बल, जीवन की स्थिरता और शांति प्रदान करता है।
‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा’ मंत्र का करें जाप
यह अत्यंत शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है जो विशेष रूप से गुप्त नवरात्रि में सिद्धि प्राप्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। इस मंत्र का संबंध वैरोचनी देवी से है और यह मंत्र नकारात्मक शक्तियों से रक्षा, इच्छित फल की प्राप्ति और रोग-शोक से मुक्ति दिलाता है।
‘ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा’ मंत्र का करें जाप
यह मंत्र देवी भैरवी, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं, को समर्पित है। यह मंत्र क्रोध, भय, शत्रु और बाधाओं से रक्षा करता है। विशेष रूप से यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है और साधक को आध्यात्मिक जागृति की ओर अग्रसर करता है।