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मां कालरात्रि की पूजा विधि और कथा

मां कालरात्रि की पूजा विधि और कथा

Ashadha Gupt Navratri Day 7: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन करें मां कालरात्रि की पूजा, जानिए सम्पूर्ण विधि और पौराणिक कथा

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की आराधना की जाती है। मां कालरात्रि को दुर्गा जी का उग्र एवं प्रचंड रूप माना गया है, जो अपने भक्तों के भय, कष्ट, शत्रु और सभी प्रकार की बाधाओं का नाश करती हैं। उनका रूप भले ही भयानक हो, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए अत्यंत शुभ फल देने वाली, ‘शुभंकरी’ देवी हैं।

 

मां कालरात्रि को अर्पित करें लाल गुलाब 

  • प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और स्वच्छ, शांत रंग के वस्त्र पहनें। घर के पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • इसके बाद मां को रोली, अक्षत, लाल फूल (विशेषकर गुलाब या गुड़हल), फल और गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई अर्पित करें।
  • मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायक होता है। इसलिए ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।’ या ‘ॐ कालरात्र्यै नमः।’ मंत्र का जाप 108 बार करें। 
  • साथ ही, दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और फिर मां कालरात्रि की आरती उतारें।

मां कालरात्रि की कथा

पुराणों के अनुसार, जब राक्षसों का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया और देवता भी असहाय हो गए, तब मां दुर्गा ने अपने भयानक रूप कालरात्रि को प्रकट किया। उनका रंग काजल के समान काला था, बाल खुले हुए, गले में मुण्डमाला, और सांस से अग्नि की लपटें निकलती थीं। उन्होंने दानवों और राक्षसों का संहार किया।

यद्यपि मां का स्वरूप भयानक था, परंतु वे अपने भक्तों को अभय और कल्याण प्रदान करती हैं, इसलिए उन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। तंत्र साधना करने वालों के लिए मां कालरात्रि की साधना विशेष महत्व रखती है, और गुप्त नवरात्रि का यह दिन तांत्रिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।

मां कालरात्रि की उपासना से होता है शनि का प्रकोप शांत 

मां कालरात्रि की पूजा करने से भय, रोग, मृत्यु का संकट, और शत्रुओं का प्रभाव समाप्त होता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जो शनि की साढ़ेसाती या ढैया से पीड़ित हैं, क्योंकि मां कालरात्रि की उपासना से शनि का प्रकोप शांत होता है।

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