आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आठवां दिन, जो कि वर्ष 2025 में 2 जुलाई को पड़ रहा है, मां महागौरी की आराधना के लिए समर्पित है। मां महागौरी नवदुर्गा के आठवें स्वरूप मानी जाती हैं और उन्हें सौंदर्य, शांति, और करुणा की प्रतीक देवी कहा जाता है। उनकी पूजा करने से जीवन में शांति, पवित्रता और सुख-समृद्धि का संचार होता है। वे भक्तों के पापों का नाश कर उन्हें पवित्र जीवन का आशीर्वाद देती हैं।
मां महागौरी की कथा पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है। कथा के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। वर्षों तक जंगलों में रहकर उन्होंने तप किया, जिसके कारण उनका शरीर धूल और तप के प्रभाव से काला पड़ गया। जब भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए, तब उन्होंने मां पार्वती के शरीर को गंगाजल से धोया। इससे उनका रूप अत्यंत उज्जवल और तेजस्वी हो गया। तभी से वे महागौरी के नाम से पूजी जाने लगीं।
मां महागौरी की चार भुजाएं होती हैं। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और वृषभ (बैल) पर सवार होती हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और नीचे का हाथ वरद मुद्रा में होता है। बाएं हाथ में डमरू और नीचे का हाथ अभय मुद्रा में रहता है।
मां महागौरी की पूजा जीवन में पवित्रता, सुख, सौंदर्य और दाम्पत्य सुख प्रदान करने वाली मानी जाती है। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन विधिवत रूप से पूजा और व्रत करने से उनके जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
मैं हूँ शरण में तेरी,
संसार के रचैया,
मैया जी घर आए,
गौरी माँ, माँ शारदा,
लग जाएगी लगन धीरे धीरे,
मैया जी से होगा मिलन धीरे धीरे,
मैया के चरणों में,
झुकता है संसार,